लखनऊ। आज खुन खुन जी गर्ल्स पीजी कॉलेज एवं लुआक्टा के संयुक्त तत्वावधान में “राष्ट्रीय शिक्षा दिवस” के अवसर पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई, जिसका शीर्षक Redefining Higher Education : Challenges and Opportunities in a Time of Transition (उच्च शिक्षा का पुनर्परिभाषित करण: संक्रमण के दौर में अवसर और चुनौतियां) रहा। इस संगोष्ठी के उदघाटन सत्र के मुख्य अथिति डॉ दिलीप अग्निहोत्री (राज्य सूचना आयुक्त), मुख्य वक्ता प्रो अरुण कुमार महामंत्री (महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय शिक्षकों के अखिल भारतीय महासंघ) AIFUCTO, संगोष्ठी की अध्यक्षता प्रो निशी पांडे, पूर्व प्रो लखनऊ विश्वविद्यालय एवं लुआक्टा अध्यक्ष प्रो मनोज पांडेय उपस्थित रहे। साथ में 2 सत्र आयोजित हुए।
उद्घाटन सत्र में लुआक्टा अध्यक्ष एवं सेमिनार के संरक्षक प्रो मनोज पांडे ने सेमिनार में NEP 2020 को लागू करने में आने वाली चुनौतियों से अवगत कराया, एडेड कॉलेज के समक्ष NEP के कारण आने वाली समस्याओं पर उनका विशेष ध्यान आकर्षण था। उनका कहना था आज भी जीडीपी का सिर्फ 3% हिस्सा ही शिक्षा पर व्यय किया जा रहा है।
आज के दौर में यह शिक्षा के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं है। इसको बढ़ा करके जीडीपी का 10% शिक्षा पर व्यय होना चाहिए तभी अधिकांश महाविद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर, लाइब्रेरी तकनीकी आवश्यक्ताओ को बढ़ाया जा सकता है। एडेड कॉलेज के सामने आने वाली समस्याएं बार-बार आने वाले पोर्टल्स को अपलोड करने की समस्या, उच्च शिक्षा के निजीकरण की समस्या आदि को सबके सामने रखा।
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सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉ दिलीप अग्निहोत्री ने शिक्षा व्यवस्था में आए इस संक्रमण के दौर पर अपने विचार व्यक्त किये, उनका कहना था कि सदियों से चल रही व्यवस्था और अंग्रेजों के द्वारा दी गई गुलामी की मानसिकता के कारण ही नई व्यवस्था में संक्रमण आया है और इस तरीके के शैक्षिक सेमिनार ही लोगों को शिक्षा के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं और इस संक्रमण के दौर से बाहर निकाल सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें आगे बढ़ने के लिए और अपनी शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए अपने मातृभाषा के अध्ययन अध्यापन पर जोर देना होगा। दुनिया के जितने भी विकसित देश है चीन, जापान सब ने अपनी मातृभाषा में ही अपना विकास किया है नई शिक्षा नीति हम सबको में एक नया स्वाभिमान भरेगी और वह आज के परिवेश के अनुकूल है।
मुख्य वक्ता प्रो अरुण कुमार ने बहुत ही सरल शब्दों में NEP की चुनौतियों को हमारे समक्ष रखा तथा स्पष्ट किया कि किस प्रकार से सरकारे NEP के माध्यम से उच्च शिक्षा के समक्ष नई-नई चुनौतियों को रख रही है, और उच्च शिक्षा व्यवस्था को संकट में डाल रही है इस शिक्षा नीति ने पुरानी शिक्षा नीतियों से सबक नहीं लिया है और यह भारतीय व्यवस्था के अनुकूल नहीं है ,इसलिए हम सभी उच्च शिक्षा से जुड़े हुए लोगों को एक जुट होकर उच्च शिक्षा में आने वाली चुनौतियों का सामना करना ही होगा।
सेमिनार की चेयर पर्सन प्रो निशी पांडे ने अपने वक्तव्य की शुरुआत इस कथन “जब शिक्षक कुछ सीखता है तो देश तरक्की करता है” से की। उच्च शिक्षा में रोजगार परक शिक्षा पर जोर देने की बात की। उन्होंने NEP 2020 पर बात रखते हुए कहा की यह नीति छात्र केंद्रित है जो छात्रों में discovery, discussion, analysis पर जोर देती है। सभी का स्वागत संगोष्ठी की संयोजिका डॉ शगुन रोहतगी एवं धन्यवाद ज्ञापन, प्रो अंशु केडिया द्वारा किया गया।
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मुख्य अतिथियों के भाषण के पश्चात सेमिनार का दूसरा सत्र प्रारंभ किया गया। जिसमें समांतर रूप से 2 सत्र चलाए गए. जिसमें 18 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र को प्रस्तुत किया। दोनों सत्र में अध्यक्षता क्रमशः प्रो सोनिका राजन आईटी महाविद्यालय, प्रो वंदना उप्रेती नारी शिक्षा निकेतन डिग्री कॉलेज, सह अध्यक्षता प्रो प्रीति अवस्थी अवध गर्ल्स पीजी कॉलेज, प्रो माधुरी यादव एपी सेन मेमोरियल गर्ल्स पीजी कॉलेज, माडरेटर के रूप मे डॉ सुधीर कुमार, महाराना प्रताप राजकीय डिग्री कॉलेज, हरदोई एवं डॉ महेंद्र कुमार वैश्य, जेएन पीजी महाविद्यालय ने भूमिका निर्वहीत की।
सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र सम्मान शुभम पांडेय, शोध छात्र जेएनयू को दिया गया एवं प्रो माधुरी यादव को महाविद्यालय एवं लुआक्टा में सहयोग के लिए सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में प्रो तिर्मल सिंह, प्रो कीर्ति प्रकाश तिवारी, मोo इमरान खान, वीर विक्रम सिंह, प्रो आरती कनौजिया, प्रो उत्तरा यादव, प्रो जया पांडेय, डॉ मुकेश, डॉ जय सिंह, डॉ अमरीश, डॉ सर्वेश आदि अनेकों पदाधिकारी एवं चारों जिलों के विभिन्न महाविद्यालयों के शिक्षक एवं शोध छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
डॉ अनामिका सिंह राठौर (समन्वयक) द्वारा संचालन किया गया। संचालन समिति के सदस्य प्रो चेतना सामंत, डॉ पारुल सिंह, डॉ सत्यम तिवारी, डॉ स्नेह लता शिवहरे रहे। संपूर्ण सेमिनार का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.अंशु केडिया के कुशल निर्देशन में हुआ, जिसमें महाविद्यालय के समस्त शिक्षिकाओं एवं नान टीचिंग स्टाफ ने सहयोग किया।