लखनऊ। कांग्रेस से निकाले गए नेताओं ने अपने निष्कासन को पूरी तरह असंवैधानिक बताया है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से हस्तक्षेप कर वातावरण खराब करने वालों पर कार्रवाई करने की मांग की है। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब प्रदेश भर में अभियान चला कर कांग्रेस को मजबूत करने पर मंथन करेंगे। अगला मंथन 30 नवंबर को नोएडा में होगा। कोई सुनवाई न हुई तो असली कांग्रेस वर्तमान कांग्रेस के सामने खड़ी होगी। प्रदेश कांग्रेस ने रविवार को नेहरू जयन्ती पर अलग आयोजन करने वाले पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व मंत्री रामकृष्ण द्विवेदी, सत्यदेव त्रिपाठी, पूर्व विधायक विनोद चैधरी, भूधर नारायण मिश्रा समेत 10 नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था।
जिस कुर्सी पर पुरुषोत्तम दास टंडन और गणेश शंकर विद्यार्थी जैसे लोग रहे, उस पर टिकट ब्लैक करने वाले बैठ गए हैं। अनुशासन समिति में वे लोग हैं जो खुद अपराधी हैं। जो कांग्रेस को जानते नहीं। जिनके ऊपर संगीन मुकदमें चल रहे हों, जिनका आपराधिक इतिहास रहा हो, वो आज हमें निकाल रहे हैं। कांग्रेस के संविधान के अनुसार एआईसीसी सदस्यों को प्रदेश कमेटी निकाल ही नहीं सकती। सिर्फ केंद्रीय अनुशासन समिति को संस्तुति कर सकती है। अनुशासन के मामलों में सहमति या असहमति जताने का अधिकार प्रभारी महासचिव को भी नहीं है। किसी को भी नोटिस ही नहीं मिला तो जवाब कैसे दे सकते थे। फिर समिति असंतुष्ट कैसे हो गई। फैसला पार्टी के आंतरिक लोकतंत्र का गला घोटने वाला है।