आचार्य ने कहा समय शक्ति व सम्पत्ति का करें सदुपयोग, भारत बनेगा विश्वगुरु
बिधूना/औरैया। कामदगिरि पीठाधीश्वर रामस्वरूपाचार्य ने कहा समय, शक्ति व सम्पत्ति ने रामराज्य की स्थापना की। इसलिए हमें समय, शक्ति और संपत्ति इन तीनों का सदुपयोग करना चाहिए। मगर हम इनका दुरूपयोग कर रहे हैं क्योंकि हम इनकी कीमत नहीं समझ रहे हैं। जिस दिन हम इसकी कीमत समझ जाएंगे, उस दिन भरत से शक्तिशाली दुनिया में कोई देश नहीं होगा और दुनियां की कोई ताकत भारत माता को विश्वगुरु बनने से नहीं रोक पायेगा।
आचार्य रामस्वरूप जी दो दिवसीय रामकथा हेतु कस्बा में मृत्युंजय मां पीतांबरा महायज्ञ परिसर पंडाल में आयोजित रामकथा में पहले दिन प्रवचन कर रहे थे। वह दो दिवसीय रामकथा हेतु कस्बा में पधारे हैं। कहा कि हमें एक होने की आवश्यकता है। अभी हमने थोड़ा सा संगठित हुए और इन तीनों का सदुपयोग किया तो पूरी दुनिया हिल गई। चाहे पाकिस्तान हो या चीन सभी ने हमारे सामने घुटने टेक दिए, दुनियां को हमारी शक्ति का अंदाज लग गया है।
रामकथा में श्रोताओं की भारी भीड़ मौजूद थी। जिनसे आचार्य ने कहा यह धार्मिक मंच है। हमें यह जानना है कि समय, शक्ति और संपत्ति तीनों कैसे समर्पित करना है और किसके लिए समर्पित करना है। कहा कि अभी हम समय, शक्ति व सम्पत्ति सब घर को समर्पित कर देते हैं। इसके बाद भी घर वाले तुम्हारे नहीं होते, इसलिए इन सभी को भगवान को समर्पित कर दो, भारत माता को समर्पित कर दो केवट की तरह तुम्हारी कीर्ति अमर हो जाएगी।
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आचार्य ने कहा आज यहां पर बिधूना ही नहीं आसपास के गांवों व जनपदों के लोग भी कथा सुनने के लिए मौजूद हैं। कहा कि समय, शक्ति संपत्ति इन तीन पात्रों ने राम राज्य की स्थापना की। एक ने राम राज्य के लिए अपनी संपत्ति दी एक ने अपनी शक्ति दे दी और एक एक पात्र ने अपना पूरा समय दे दिया। कहा अब तीन पात्रों को चुन रहा हूं, आप लोग जिस पात्र के प्रति श्रद्धा रखते हो उसी के चरित्र को अपने जीवन में स्वीकार कर लेना। मैं दावे के साथ कह रहा हूं सबसे पहले तो आपका हृदय में रामराज्य जाएगा।
तीनों पात्रों का जिक्र करते हुए कहा कि एक पात्र केवट ने अपनी संपत्ति भगवान को अर्पित की। दूसरे पात्र ने शक्ति अर्पित की और तीसरे पात्र हनुमान ने समय अर्पित किया। कहा हिन्दुओं आप संख्या में बहुत हैं पर आपमें ईर्ष्या , छल, कपट भरा है, इसलिए कमजोर बहुत हो। कहा हमें सबके कल्याण की भावना रखनी चाहिए जैसी केवट में थी। केवट ने भगवान के अकेले नहीं बल्कि परिवार व गांव के लोगों के साथ भगवान के पांव पखारे थे। उसने गांव के सभी लोगों के कल्याण के लिए काम किया था।
रामस्वरूपाचार्य ने कल्पवृक्ष की चर्चा करते हुए कहा कि कहा कि कलयुग में स्वर्ग लोक में इन्द्र के पास तो सिर्फ एक ही कल्पवृक्ष है। लेकिन मैं दावा करता हूं कि कलयुग में भारत माता के सपूतों के पास मृत्यु लोक में दो-दो कल्पवृक्ष है। दावा किया कि यह दो कल्पवृक्ष कामतानाथ जी व गोवर्धन नाथ जी हैं। जिनकी परिक्रमा मात्र से हमें सब कुछ मिल जाता है। कहा कि दोनों कल्पवृक्ष हैं। इनसे पहले महराज जनक के पास कल्पवृक्ष था जो उन्होंने माता सीता को दिया था, जो चिदरूपा मुदरी रूप में था। जिसे सीता जी ने गंगा तट पर भक्त केवट को भेंट करने के लिए भगवान राम को दिया था। पर केवट ने मुदरी लेने से मना कर दिया। कहा कि उसे चरणोदक चाहिए था जो मिल गया है। उससे बड़ी महिमा मुदरी की नहीं है।
कहा कि यज्ञ किसी एक व्यक्ति के कल्याण के लिए नहीं होता, यह तो विश्व कल्याण, लोक कल्याण के लिए आयोजित किया जाता है। इसलिए इसमें सभी को पूरे परिवार को साथ जुड़ना चाहिए। कहा कि मेरे पास समय नहीं था, पर मुझे यहां यज्ञ भगवान ने ही बुला लिया और मुझे यहां आना पड़ा।
रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन