भारत में, जहां भारतीय रेलवे से प्रतिदिन 23 मिलियन से अधिक यात्री यात्रा करते हैं जिन्हें रेलवे अनेक अवसरों-शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सेवा और सामुदायिक भागीदारी तक पहुँचाने का प्रतिनिधित्व करती है। इस विशाल नेटवर्क पर निर्भर रहने वाली लाखों महिलाओं के लिए एक स्थान से दुसरे स्थान तक सुरक्षित यात्रा एक मौलिक अधिकार और सशक्तिकरण का एक साधन है। भारतीय रेलवे और रेलवे सुरक्षा बल (RPF) इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरे हैं, जो समावेश और सशक्तिकरण को बढ़ावा देते हुए सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
संभल के इंस्पेक्टर और दरोगा के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी, सपा नेता आजम खां हैं आरोपी
यात्री-केंद्रित पहल
ऑपरेशन मेरी सहेली: आरपीएफ के प्रयासों में सबसे आगे “ऑपरेशन मेरी सहेली” है, जो 2020 में शुरू की गई एक समग्र पहल है, जिसका उद्देश्य महिला यात्रियों, विशेष रूप से अकेले यात्रा करने वाली, बच्चों के साथ यात्रा करने वाली यादेभाल करने वाली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। 249 समर्पित मेरी सहेली टीमें राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिदिन लगभग 500 ट्रेनों को अटेंड कर रही हैं और ये महिला आरपीएफ कर्मी प्रतिदिन लगभग 13000 महिला यात्रियों से उनकी यात्रा की शुरुआत से लेकर अंत तक बातचीत करती हैं, यात्रा के दौरान संपर्क बनाए रखती हैं और गंतव्य पर उनकी सुरक्षित पहुँच सुनिश्चित करती हैं।
विश्वास को बढ़ावा देने और निरंतर सहायता प्रदान करके, ऑपरेशन मेरी सहेली ने अनगिनत महिलाओं के यात्रा अनुभव को बदल दिया है, उनके मनोवैज्ञानिक बोझ को कम किया है और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
विशेष महिला सुरक्षा टीम: यात्री-केंद्रित पहलों से परे आर.पी.एफ. ने सभी क्षेत्रों में विशेष महिला-नेतृत्व वाली सुरक्षा टीमें स्थापित की हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण मध्य रेलवे में शक्ति टीमें, उत्तर पश्चिमी रेलवे में दुर्गा वाहिनी टीमें जो प्लेटफॉर्म, ट्रेनों और जोखिम प्रभावित क्षेत्रों में गश्त करती हैं, जो घटनाओं परतुरंत प्रतिक्रिया देती हैं और महिलायात्रियों के बीच सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देती हैं।
ऑपरेशन मातृ शक्ति: आरपीएफ की महिला कर्मी ट्रेन यात्रा के दौरान प्रसवपीड़ा से जूझ रही गर्भवती महिलाओं की सहायता करने के लिए अपने कर्तव्य से परे जाकर काम करती हैं। अकेले वर्ष 2024, में आरपीएफ की महिलाकर्मियों ने ट्रेनों और रेलवे क्षेत्रों में 174 प्रसवों में सहायता की।
ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते: रेलवे के संपर्क में आने वाले देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले बच्चों को बचाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है। वर्ष 2024 के दौरान, इस ऑपरेशन के तहत आर.पी.एफ. द्वारा 4528 लड़कियों को बचाया गया।
ऑपरेशन डिग्निटी: आरपीएफ कर्मी देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाली महिलाओं सहित सभी वयस्कों को बचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये व्यक्ति भगोड़े, परित्यक्त, नशे के आदी, बेसहाराया चिकित्सा सहायता की जरूरत वाले हो सकते हैं। 2024 में, लगभग 1607 ऐसी महिलाओं/लड़कियों को बचाया गया।
मिशन जीवन रक्षा: आरपीएफ कर्मियों ने महिलाओं-लड़कियों की जान बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इस मिशन के तहत वर्ष 2024 में कुल 1043 महिलाओं-लड़कियों की जान मौत के मुंह से बचाई गई।
मिश्रित अनुरक्षण: आरपीएफ प्रतिदिन लगभग 1800 ट्रेनों में अनुरक्षण करती है, जिसमें मिश्रित अनुरक्षण दल शामिल हैं, जहां महिला आरपीएफ कर्मी ट्रेन यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुरुष सहकर्मियों के साथ होती हैं। ये मिश्रित अनुरक्षण दल लंबी दूरी और उच्च घनत्व वाली ट्रेनों में तैनात किए जाते हैं, जो अपराध पर स्पष्ट रूप से अंकुश लगाते हैं और यात्रियों, विशेषकर महिलाओं में सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देते हैं। अनुरक्षण कर्तव्यों में महिलाकर्मियों को शामिल करने से कार्य की प्रभावशीलता बढ़ती है और यात्रियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, जो लिंग-संवेदनशील सुरक्षा वातावरण बनाने के लिए आरपीएफ की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मिशन महिला सुरक्षा के एक भाग के रूप में, वर्ष 2024 में महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बों में यात्रा करने वाले लगभग एक लाख पुरुषों के खिलाफ आरपीएफ द्वारा रेलवे अधिनियम के तहत क़ानूनी कार्यवाही की है,ताकि महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
ऑपरेशन AAHT: मानव तस्करी के खिलाफ कार्यवाही मानव तस्करी, मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, जो महिलाओं और बच्चों को अत्यधिक प्रभावित करता है। भारतीय रेलवे, अपने विशाल नेटवर्क के कारण, अक्सर तस्करों के लिए पारगमन बिंदु बन जाता है। इसे रोकने के लिए, आरपीएफ ने ऑपरेशन AAHT (मानव तस्करी के खिलाफ कार्यवाही) शुरू किया है, जिसमें मानव तस्करी नेटवर्क को लक्षित कर पीड़ितों को बचाया गया। वर्ष 2023 में, RPF ने सौ से अधिक महिलाओं को बचाया और कई तस्करी गतिविधियों को खत्म किया।
आंतरिक सशक्तिकरण: नेतृत्वकारी भूमिकाओं में महिलाएं: महिला सशक्तिकरण के लिए आरपीएफ की प्रतिबद्धता यात्री सुरक्षा से कहीं आगे तक फैली हुई है। कुल आरपीएफ कर्मियों में 9% महिलाएं होने के कारण, आरपीएफ भारत के सशस्त्र बलों में सबसे अधिक महिला प्रतिनिधित्व का दावा करता है।
यह समावेशन प्रतीकात्मक नहीं है, महिलाएं महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका निभाती हैं जो नीति और संचालन को प्रभावित करती हैं। रेलवे बोर्ड में नीति निर्माण स्तर पर सारिका मोहन जैसी महिला अधिकारी नेतृत्व करती हैं। अरोमा सिंह ठाकुर दूसरी सबसे बड़ी जोनल रेलवे के सुरक्षा विभाग की प्रमुख हैं। रुचिरा चटर्जी जीएम, आरसीआईएल, रेणु छिब्बर जीजीएम/डीएफएफसीसीआईएल में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं। यह सभी महिलाओं के लिए प्रभावी समाधान तैयार करने में सहानुभूति-संचालित नेतृत्व के एकीकरण के महत्व का उदाहरण हैं। भारतीय रेलवे के चार प्रमुख डिवीजनों का नेतृत्व महिला वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्तों द्वारा किया जा रहा है और भारतीय रेलवे के 47 आरपीएफ थानों में आरपीएफ महिला निरीक्षकों को तैनात किया गया है। इनके अलावा, भारतीय रेलवे के कुछ रेलवे स्टेशन और आरपीएफ चौकियाँ पूरी तरह से महिला कर्मियों द्वारा संचालित हैं। महिलाओं द्वारा अकसर पारिवारिक देखभाल करने वालों और पेशेवरों के रूप में निभाई जाने वाली दोहरी भूमिका को देखते हुए आरपीएफ में मातृत्व (Maternity Leave) और बाल देखभाल अवकाश (Child Care Leave) नीतियां के साथ प्रमुख स्थानों पर माता-पिता की अनुपस्थिति में शिशुओं की देखभाल करने का स्थाऔन तथा फीडिंग रूम जैसी सुविधाएं शुरू की हैं।
निष्कर्ष: चेहरे की पहचान और व्यवहार विश्लेषण के साथ एआई-संचालित निगरानी प्रणाली, वास्तविक समय की निगरानी और हस्तक्षेप के उद्देश्य से, लाइव ट्रैकिंग, आरपीएफ कर्मियों के साथ सीधा संवाद और तत्काल अलर्ट आदि की सुविधा देने वाले मोबाइल सुरक्षा एप्लिकेशन यात्रियों को सहायता के लिए तत्काल पहुंच प्रदान करेंगे।
प्रौद्योगिकी को अपनाकर आरपीएफ का लक्ष्य एकस्मार्ट, सुरक्षित और अधिक समावेशी गतिशील पारिस्थिति की तंत्र बनाना है। ऐसे युग में जहां सुरक्षा और सशक्तिकरण को विकास के आधार के रूप में तेजी से पहचाना जा रहा है, आरपीएफ उद्देश्य, सहानुभूति और कार्यवाही की परिवर्तनकारी शक्ति का एक प्रमाण है। यह केवल यात्रियों की आवाजाही के बारे में नहीं है; यह एक राष्ट्र को सम्मान, समानता और प्रगति की ओर ले जाने के बारे में है। एक सुरक्षित और अधिक समावेशी भविष्य की ओर यात्रा केवल एक गंतव्य नहीं है-यह एक विरासत है जो बन रही है।