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मेरा पहला रोज़ा: सात साल से कम उम्र की सुकैना ने रखा रोज़ा

फतेहपुर। लगभग सर्दी खत्म सी होने के बाद दिन में गर्मी का एहसास दिलाने के मौसम में शुरू हुए रमज़ान के पहले दिन का रोज़ा रखने का दौर शुरू हो गया है, ऐसे में लोग दिन भर बगैर कुछ खाए और पानी पिए नहीं रह सकते हैं। इस माह में रोजेदारों को अल्लाह इतनी ताकत देता है कि वह हंसते-हंसते रोजा रखते हैं।

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मेरा पहला रोज़ा: सात साल से कम उम्र की सुकैना ने रखा रोज़ा

खागा तहसील क्षेत्र के ग्राम सुल्तानपुर घोष गांव में पत्रकार शीबू खान की 7 वर्षीय (29 मार्च को पूरी होगी) पुत्री सुकैना यासमीन नूर उर्फ बुतूल नूर (Sukaina Yasmin Noor alias Butul Noor) ने भी अपना पहला रोजा रखा। उसने बताया कि घर वालों ने रोज़ा रखने को प्रेरित किया जबकि कई लोगों ने मना किया था कि वह इस गर्मी में रोजा न रखे नहीं तो बीमार पड़ जाएगी।

उसने कहा कि उसने मन में सोच लिया था कि रोजा अवश्य रखेगी इसके बाद उसने अपने माँ-बाप के साथ सहरी की और हिम्मत से रोजा रखा और शाम को इफ्तार के बाद ही रोजा खोला।

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उसके हौसले को देखकर माता यासमीन नूर और पिता शीबू खान के साथ ही 5 वर्षीय छोटी बहन सैय्यदा फातिमा नूर उर्फ ज़ोया नूर के साथ ही एक वर्षीय छोटा भाई शाद मोहम्मद नूर का खुशी का ठिकाना नहीं रहा है। नन्हीं रोजेदार बुतूल नूर ने बताया कि यह अल्लाह की ताकत थी कि उसे दिन भर प्यास तक नहीं लगी और रोजा मुकम्मल हो गया।

रोजे के दौरान बुतूल नूर ने नमाज़ भी अदा किया और इफ्तार के समय मीठे चावल (जर्दा) का थाल भरकर मुहल्ले में घर – घर तकसीम भी किया। इस दौरान लोगों ने उसका हौसला बढ़ाया।

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