गुवाहाटी। अखिल असम छात्र संघ (आसू) (All Assam Students Union (AASU) ने गुरुवार को 1985 के असम समझौते पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह राज्य के लोगों की जीत है। छात्र संघ ने कहा कि सुप्रीम फैसले से एक बार फिर स्थापित हो गया है कि ऐतिहासिक असम समझौता विवेकपूर्ण है। आसू इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में शामिल है।
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अखिल असम छात्र संघ ने जारी किया बयान
अखिल असम छात्र संघ (आसू) ने कहा कि राज्य के लोग पिछले चार दशकों से निस्वार्थ भाव से असम समझौते के पक्ष में खड़े रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बहुमत के फैसले में नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की सांविधानिक वैधता को बरकरार रखा। धारा 6ए के तहत 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच असम में आए प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।
इसके साथ ही आसू ने एक बयान में कहा, हम एक बार फिर मांग करते हैं कि असम समझौते के हर खंड को पूरी तरह से लागू किया जाए।असम समझौते पर 1985 में छह साल तक चले हिंसक आंदोलन के बाद हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते में अन्य प्रावधानों के अलावा यह भी कहा गया था कि 25 मार्च 1971 या उसके बाद असम आने वाले सभी विदेशियों का पता लगाया जाएगा।
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यह असम समझौते की जीत- एआईयूडीएफ
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के महासचिव अमीनुल इस्लाम ने कहा कि उनकी पार्टी फैसले का स्वागत करती है। उन्होंने इसे असम समझौते की जीत करार दिया, जिसके बाद अखिल असम छात्र संघ (आसू) के पूर्व नेता मतिउर रहमान ने फैसले पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि उन्होंने असम समझौते पर इस तरह के फैसले की उम्मीद नहीं की थी। रहमान ने नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को शामिल किए जाने को चुनौती देने वाले असम के संगठन संयुक्ता महासभा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में मूल याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि असम के मूल निवासियों के अधिकारों की पूरी तरह से रक्षा की जाए।