- Published by- @MrAnshulGaurav
- Thursday, July 14, 2022
लखनऊ। नई शिक्षा नीति में भारतीय परिवेश के अनुरूप ज्ञान को महत्त्व दिया गया. इसके साथ ही इसमें विद्यार्थियों को स्वावलंबी बनाने का व्यवहारिक तथ्य भी समाहित है. इसमें दिव्यांग ज़न भी शामिल है. यह संबोधन प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने दिया था. इसके माध्यम से दिव्यांग-जन के प्रति पूरा विचार ही बदल गया है.इसमें उनके प्रति सम्मान का भाव है. साथ ही यह बोध होता है कि प्रत्येक दिव्याग में कोई न कोई विशेषता अवश्य होती है.नई शिक्षा नीति के माध्यम से उसी विशेषता को जागृत करने का प्रयास किया जा रहा है. जिससे दिव्या ज़न सामर्थ्यवान बन सकेंगे.
राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्तमान की आवश्यकता को ध्यान में रख कर लागू की गई है.इससे दिव्यांगजनों के शैक्षिक पुनर्वासन का मार्ग प्रशस्त होगा.उचित और अनुकूल परिवेश से दिव्यांग जन को आगे बढ़ने का अवसर मिलता है.आनंदीबेन पटेल ने डा शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ में ‘दिव्यांगजनों के शैक्षिक पुनर्वासन एवं कौशल विकास’ के क्षेत्र में कार्यरत शैक्षिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की एक दिवसीय कार्यशाला तथा ‘ब्रेल प्रेस’ के उद्घाटन किया.
उन्होंने कहा कि दिव्यांग बच्चों की रूचि को ध्यान में रख कर मन्थन होना चाहिए. इसके निष्कर्ष सरकार को प्रेषित करने चाहिए.जिससे उनका क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सके. प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों से एमओयू होने चाहिए परस्पर अनुभवों को साझा किया जाये. जिससे दिव्यांग बच्चों को इसका लाभ मिल सके। आनंदीबेन पटेल ने ब्रेल प्रेस का उद्घाटन किया. उन्होने कहा कि इससे दिव्यांगजनों के लिए किताबे तैयार होंगी. इसे प्रदेश के अन्य शिक्षण संस्थानों और आंगनबाड़ी केन्द्रों आदि में भेजा जा सकेगा. जिसका लाभ सभी दिव्यांग बच्चों को होगा.
सभी दिव्यांग बच्चों को किताब की उपलब्धता होनी चाहिए. नई शिक्षा नीति में कौशल विकास को भी महत्त्व दिया गया है. राज्यपाल कहा कि विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को नई नई स्किल संबंधी जानकारी इसके साथ ही नैक मूल्यांकन में उत्कृष्ट ग्रेड प्राप्त करने का भी प्रयास करना चाहिए. नए पाठ्यक्रम में दिव्यांगजनों की आवश्यकता के अनुसार शैक्षणिक व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए.
राज्यमंत्री दिव्यांगजन सशक्तीकरण नरेन्द्र कश्यप ने कहा कि यह दिव्यांगजनों संबन्धी एशिया का ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां पर दिव्यांगजनों के अनुरूप पाठ्यक्रमों का संचालन सुचारू रूप से किया जा रहा है. दिव्यांग बच्चों के लिए विश्वविद्यालय में एक विशिष्ट ‘इंडोर स्टेडियम’ भी स्थापित है.जिसका लाभ सभी बच्चों को प्राप्त हो रहा है।