अमेरिका ने संयुक्त अरब अमीरात को 1 लाख 73 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की हथियारों के डील को मंजूरी दे दी है. इस डील के जरिए अमेरिका अपने स्टेट ऑफ ऑर्ट माने जाने वाले स्टील्थ लड़ाकू विमान एफ-35 और एमक्यू-9 रीपर ड्रोन को यूएई को बेचेगा.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि 23 अरब डॉलर से ज्यादा कीमत वाली इस डील में कई उन्नत हथियार प्रणालियों को संयुक्त अरब अमीरात को दिया जाएगा.
इजरायल की आपत्ति के कारण लटकी थी डील
यूएई पिछले कई साल से अमेरिका के एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमान को खरीदना चाहता था लेकिन इजरायल की आपत्ति के कारण यह डील लटकी हुई थी. कुछ महीने पहले ही यूएई ने इजरायल के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया है. हाल में ही यूएई, बहरीन और सूडान ने इजरायल के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं.
ईरान से निपटने के लिए यूएई को हथियार दे रहा अमेरिका
पोम्पियो ने कहा कि यूएई को ईरान से खतरा है इसलिए हम उसे हथियार देकर शक्तिशाली बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह डील हमारे गहन संबंधों और यूएई को ईरान से बढ़ रहे खतरों के खिलाफ बचाव के लिए उन्नत रक्षा क्षमताओं की आवश्यकता की मान्यता देता है. ट्रंप चाहते हैं कि उनके बचे हुए कार्यकाल के अंदर ही सभी लंबित समझौतो का फाइनल कर लिया जाए.
इस डील में कौन-कौन से हथियार हैं शामिल
इस 23.37 बिलियन डॉलर के पैकेज में 50 F-35 लाइटिंग II विमान, 18 MQ-9B अनमैंड एरियल सिस्टम और एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल शामिल हैं. अमेरिका का एफ-35 लाइटिंग विमान दुश्मन की रेडार के पकड़ में भी नहीं आता है. इसके अलावा यह छोटे से रनवे से आसानी से टेकऑफ भी कर सकता है. इस विमान में कई घातक मिसाइलें भी लगी होती हैं.
ईरान और यूएई में तनाव चरम पर
बता दें कि अमेरिका, यूएई और इजरायल का ईरान के साथ तनाव चरम पर है. ईरान ने इजरायल के साथ शांति समझौते को लेकर यूएई को खुलेआम धमकी भी दी थी. यूएई सुन्नी बहुल देश है, जबकि ईरान खुद को शियाओं का हिमायती बताता है. यह भी दोनों देशों के बीच विवाद का बड़ा कारण है.