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स्वतन्त्रता संग्राम का अमृत सन्देश

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का स्वरूप व्यापक रहा है। इसका विस्तार महानगरों से लेकर गांव और वनवासी क्षेत्रों तक था। इस श्रृंखला में अनगिनत ज्ञात अज्ञात सेनानी हुए। जिन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। इन्होंने विदेशी आक्रांताओं की यातना झेली,लेकिन अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटे। इन सभी लोगों ने राष्ट्र को सर्वोच्च माना। इसलिए सहज रूप से राष्ट्र की सेवा में समर्पित रहे। इस ध्येय मार्ग से विचलित नहीं हुए।

गौरवशाली प्रसंगों की प्रेरणा

आज देश स्वतन्त्र है। अब देश को शक्तिशाली बनाना आवश्यक है। इस कार्य में भी देशभक्ति का वैसा ही जज्बा होना चाहिए। इसके लिए महापुरूषों से प्रेरणा लेनी चाहिए। आजादी के अमृत महोत्सव ने इसका अवसर उपलब्ध कराया है। केंद्र सरकार ने गहन विचार विमर्श के बाद इस समारोह की रचना की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्ज्वल होता है,जब वह अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्व से पल पल जुड़ा रहता है। भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है,समृद्ध इतिहास है,चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है। इस सभी से देश की वर्तमान पीढ़ी प्रेरणा ले सकती है।

राष्ट्रीय स्वाभिमान

अमृत उत्सव के शुभारंभ के लिए बारह मार्च का दिन तय किया गया था। महात्मा गांधी ने इसी दिन दांडी मार्च प्रारंभ की थी। इस नमक सत्याग्रह की इक्यानवीं वर्षगांठ नरेंद्र मोदी ने साबरमती आश्रम से अमृत महोत्सव का शुभारंभ किया। अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 12 मार्च,1930 को 78 सत्याग्रहियों के साथ नवसारी जिले के समुद्रतटीय गांव दांडी के लिए कूच किया था। अंग्रेजों के नमक कानून के विरोध में गांधीजी ने तीन सौ छाछठ किलोमीटर पैदल दांडी मार्च कर छह अप्रैल 1930 को सांकेतिक रूप से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून को तोड़ा था। यह अमृत महोत्सव देश के पचहत्तर स्थानों पर मनाया गया। महोत्सव को जन उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। यह सप्ताह तक चलेगा। स्वतन्त्रता दिवस पर इसका समापन होगा। नरेंद्र मोदी ने कहा था कि आजादी का यह पर्व एक ऐसा होना चाहिए जिसमें स्वाधीनता संग्राम की भावना और उसका त्याग साक्षात अनुभव हो सके। देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों की जनभागीदारी को लेकर यह आजादी का उत्सव मनाया जाए।

महापुरुषों को सम्मान

नरेंद्र मोदी ने विगत छह वर्षो में अनेक महापुरुषों को उचित सम्मान दिया है। अंडमान में नेताजी सुभाष ने देश की पहली आज़ाद सरकार बनाकर तिरंगा फहराया था। वर्तमान सरकार ने भव्य आकार दिया है। जालियाँवाला बाग स्मारक,पाइका आंदोलन स्मारक आदि पर काम किया गया। इसी प्रकार बाबा साहेब से जुड़े स्थान दशकों से उपेक्षित थे। वर्तमान केंद्र सरकार ने उसका भी विकास देश ने पंचतीर्थ के रूप में किया गया। दांडी यात्रा से जुड़े स्थल का पुनरुद्धार देश ने दो साल पहले ही पूरा किया था।नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के कोने कोने से कितने ही दलित, आदिवासी,महिलाएं और युवा हैं जिन्होंने देश को आजाद कराने के लिए असंख्य तप त्याग किए।

 

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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