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अध्ययन के साथ रोजगार भी राज्य सरकार की प्रतिबद्धताः डाॅ. दिनेश शर्मा

अयोध्या। डाॅ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के 25वे दीक्षांत समारोह का आज 12 मार्च, 2021 को कोविड-19 के अनुपालन में भव्य आयोजन किया गया। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शि़क्षा मंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा रहे। मुख्य अभ्यागत अतिथि डाॅ. लक्ष्मण सिंह राठौर, स्थाई प्रतिनिधि (भारतीय राजदूत) विश्व मौसम विज्ञान संगठन यूएनओ, पूर्व महानिदेशक, मौसम विज्ञान, भारतीय मौसम विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में राज्यमंत्री उच्च शिक्षा व विज्ञान एवं तकनीकी विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की नीलिमा कटियार रही। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने स्वागत किया।

समारोह को संबोधित करती हुई कुलाधिपति एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि भारत वर्तमान समय में आजादी अमृतोत्सव मना रहा है। आज ही के दिन 1930 में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा का शुभारम्भ किया था। ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर टैक्स लगाने का विरोध अहमदाबाद स्थित साबरमती आश्रम से प्रारम्भ हुआ यह आंदोलन देश का आंदोलन बन गया। 150 वर्षों से लगातार सघर्ष के बाद देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, विद्वजनों, युवाओं ने अपने जान को न्यौछावर कर आजादी पायी है। इस आजादी के लिए देश ने भीषण यातनाओं को झेला है। तब जाकर कही स्वराज की स्थापना हो पायी। भारत में देश का हित सर्वोपरि हो इसी संकल्प पर हमें कार्य करना होगा। साथ ही आत्मनिर्भर भारत का संकल्प लेना होगा। आने वाली पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के सघर्षों की गाथा से परिचित कराना होगा जिससे वे समझ सके कि आजादी के क्या मूल्य है। महामहिम ने कहा कि भारत सरकार द्वारा आयोजित इस अमृत महोत्सव के दौरान प्रत्येक युवा स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी कथाओं पर अध्ययन कर आपसी चर्चा का विषय बनाये। विश्वविद्यालयों का यह दायित्व बनता है कि वे आने वाली पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम के मूल्यों से परिचित कराये और संकल्प करें कि 15 अगस्त, 2022 तक विशेष अभियान में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर विमर्श करें और उन स्थलों का भम्रण करें जो स्वतंत्रता संग्राम के साक्षी बने है। देश को आजादी मिल गई है परन्तु अभी सही अर्थों में देश के समक्ष कई चुनौतियां है।

भारत सरकार एवं राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को गांव-गांव तक पहुॅचाने के लिए विश्वविद्यालयों एवं सम्बद्ध महाविद्यालयों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जनसहयोग करना होगा। कुलाधिपति ने कहा कि सामाजिक सरोकारों का समझने एवं उसे अपनाने की जरूरत है। स्वास्थ्य शिक्षा, पर्यावरण प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हो इससे जनमानस को प्रेरणा मिलेगी। देश के लिए जीने की आवश्यकता है यह सभी का कर्तव्य है।

समारोह के मुख्य अतिथि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं उच्च शि़क्षा मंत्री डाॅ. दिनेश शर्मा ने कहा कि दीक्षांत समारोह ग्रहण की शिक्षा को समर्पित करने का एक अवसर है। समाज के लिए शिक्षा का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो सके इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति में शिक्षा का स्तर बढ़े इसी लिए सरकार द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों में काॅमन पाठ्यक्रम लागू करने की योजना पर कार्य कर रही है। वर्तमान समय में राज्य सरकार द्वारा डिजीटल लाइब्रेरी की स्थापना की गई है। कोविड-19 के दौरान राज्य विश्वविद्यालयों ने 30 विभिन्न पाठ्यक्रमों में 79 हजार ई-कंटेंट अपलोड किए है इसमें वीडियों लेक्चर, वायस एवं टेक्स्ट को शामिल किया गया है।

डिजीटल लाइब्रेरी के उपयोग के लिए देशभर के विद्यार्थी एवं शिक्षक शिक्षण एवं ज्ञान के लिए अपने उपयोग में ले रहे है। केन्द्र सरकार के साथ एमओयू किया गया है। लघु एवं मध्यम उद्योगों के साथ संस्थानों का अनुबंध कर छात्र-छात्राओं को अध्ययन करते-करते रोजगार पाने का अवसर तैयार किया जा रहा है। डाॅ. दिनेश शर्मा ने बताया कि अयोध्या में श्रीराम विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव कई निजी संगठनों द्वारा प्राप्त हुआ है। इस विश्वविद्यालय में ज्योतिष, धर्मग्रन्थों एवं कर्मकांडों जैसे महत्वपूर्ण विषयों का अध्ययन का प्रस्ताव आया है। राज्य सरकार ने शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिए ऑनलाइन टीचिंग को लेकर काॅफी गंभीर है और इस क्षेत्र में कार्य कर रही है।

कार्यक्रम मुख्य अभ्यागत अतिथि डाॅ .लक्ष्मण सिंह राठौर, स्थाई प्रतिनिधि (भारतीय राजदूत) विश्व मौसम विज्ञान संगठन यूएनओ, पूर्व महानिदेशक, मौसम विज्ञान, भारतीय मौसम विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली ने कहा कि आधुनिक युग में ज्ञान की नवजागरणयुगीन ऐतिहासिक क्रांतिकारी भूमिका के व्यतीत हो जाने के बाद आज का वर्तमान समय कौशल विकास का ही है। ज्ञान एवं अर्थव्यवस्था एक दूसरे के पूरक है।

भारतीय जनमानस में पाश्चात्य देशों के दबाव में आकर शिक्षण व्यवस्था को बड़े स्तर पर प्रभावित कर लिया है जिसका परिणाम सुखःद नही रहा। स्वतंत्रता के उपरांत जिस रूप में शिक्षा का माडल अपनाया गया उसमें स्पष्ट दृृष्टिकोण का समावेश नही हो सका। डाॅ0 राठौर ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में भारत की शैक्षिक योजना को लागू करने का संकल्प लिया गया था और इसे बारहवीं पंचवर्षीय योजना में भी 19 से 24 वर्ष आयु के सिर्फ 5 प्रतिशत से कम लोगों ने व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त की। यदि इसका तुलनात्मक अध्ययन किया जाये तो ग्रामीण आबादी की सिर्फ तीन प्रतिशत लोगों तक पहॅुच बन पाई। भारत को यदि राष्ट्रीय सकल नामांकन अनुपात की स्थिति को ठीक करना है तो हमें कौशल विकास आधारित पाठयक्रमों के साथ-साथ अन्तर विषयक शोध केन्द्रों की स्थापना पर जोर देना होगा।

डाॅ. राठौर ने कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 के प्रावधानों में इन्क्यूवेशन केन्द्रों की स्थापना, विभिन्न प्रणालियों का एनसीआईवाई के साथ समन्वय कर शिक्षा नीति में और भी विस्तार किया गया है। यह विदित है कि भारत में प्राचीनकाल से ही भारत में कौशल विकास, अभियांत्रिकी, कारीगरी अत्यन्त विकसित अवस्था में रही थी जिसके स्पष्ट रूप से प्रमाण विद्यमान है। आधुनिक भारत का प्रयास है कि भारत पुनः प्राचीन एवं एतिहासिक लय को प्राप्त करें। किसी भी देश की उच्च शिक्षा का प्रदर्शन उसकी प्राथमिक शिक्षा की बुनियाद पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत के सबसे बड़ी चुनौती है प्राथमिक शिक्षा में बने हुए गतिरोध को दूर करना हैं। देश में व्यापक तौर पर प्राथमिक शिक्षा के पुर्नगठन की आवश्यकता है। इसे दूर किए बगैर लक्ष्य को प्राप्त नही किया जा सकेगा। उच्च शिक्षा प्राप्त विद्यार्थियों को शैक्षिक जन जागरूकता के सक्रिय भागीदारी निभानी होगी। केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारों ने प्राथमिक शिक्षा के सभी आयामों पर गंभीरता से मंथन किया है अभी इसे और व्यापक तौर पर अपनाने की आवश्यकता है।

नई शिक्षा नीति में बुनियादी साक्षरता, स्थानीय भाषाओं को विकास, बाल साहित्य, डिजीटल इंन्फ्रास्क्चर फार नाॅलेज शेयरिंग, पोषण स्वास्थ्य जैसे प्रमुख विषयों पर गंभीरता से विचार कर इन्हें क्रियात्मक रूप प्रदान किया जाना आवश्यक है। आज के विज्ञान को हमें जीवन मूल्यों व नैतिक दृष्टि की आभा से समन्वित करना होगा। इससे हम प्राकृतिक आपदाओं पर नियंत्रण कर आधुनिक भारत का निर्माण कर सकेंगे। प्रकृति के मूल में आधुनिक भारत का विकास है। डाॅ. राठौर ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य को ज्ञान व विचार के अनंत प्रकाश की ओर ले जाता है और यह यात्रा उसे आधारभूमि से जोड़े रहती है। आज शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं नवप्रर्वतनों को सुदृढ़ करने के लिए प्रभावी नीतियों का निर्माण किया जा रहा है शीघ्र ही उसके सुखद परिणाम जनमानस को मिलेंगे। भारत की चुनौती अपनी मानव सम्पदा को श्रेष्ठता से आगे बढ़ाते हुए उसे तकनीकी संपदा व गुणवत्तात्मक श्रेष्ठता में बदलना है।

दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महामहिम की उपस्थिति विश्वविद्यालय के लिए गौरव के साथ-साथ एतिहासिक भी है। समय पर महामहिम के दिशा-निर्देश से विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली, शैक्षिक वातावरण के निर्माण एवं कुशल नेतृत्व ने हम सभी का मार्ग-दर्शन किया है। विश्वविद्यालय अपनी स्थापना से लेकर अबतक महत्वपूर्ण उपलब्धियों का साक्षी रहा है। वर्तमान समय में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 738 महाविद्यालय है। 6 लाख से अधिक विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय विभिन्न पाठ्यक्रमों से जुड़े है। सत्र 2021-22 से परिसर में 25 नये रोजगारपरक पाठ्यक्रमों का संचालन करने का निर्णय लिया गया है। इस प्रकार नियमित एवं स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों की संख्या परिसर में लगभग 58 हो चुकी है।

प्रो. सिंह ने कहा कि यह अपार हर्ष का विषय है कि विश्वविद्यालय की स्थापना के 46वें वर्ष में 04-6 मार्च, 2021 को अपना पहला नैक मूल्यांकन पूर्ण करा लिया है। राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 के अनुपालन में विश्वविद्यालय आॅनलाइन शिक्षा से सम्बन्धित ई-कंटेंट तैयार कर परिसर एवं महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा को सरल एवं सुगम बना रहा है। विश्वविद्यालय ने चैथी बार दिव्य दीपोत्सव कार्यक्र्रम में सात हजार स्वयंसेवकों के साथ 6 लाख से अधिक दीपो का प्रज्ज्वलन कर गिनीज बुक वल्र्ड रिकार्ड में नाम दर्ज किया है। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय अयोध्या हाॅफ मैराथन का आयोजन कर खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने का कार्य किया है।

दीक्षांत समारोह में डाॅ. लक्ष्मण सिंह राठौर, स्थाई प्रतिनिधि (भारतीय राजदूत) विश्व मौसम विज्ञान संगठन यूएनओ, पूर्व महानिदेशक, मौसम विज्ञान, भारतीय मौसम विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, नई दिल्ली को मानद् उपाधि प्रदान की गई। कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने अतिथियों का स्वागत गंन्थ गुच्छ, स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्रम प्रदान कर किया। उपाधि प्राप्त छात्रों को दीक्षोपदेश एवं कर्तव्यनिष्ठा की शपथ दिलाई गई। 25वें दीक्षांत समारोह में कुल 115 स्वर्ण पदक प्रदान किए गये जिसमें 28 कुलपति स्वर्णपदक, 70 कुलाधिपति स्वर्णपदक तथा दान स्वरूप पदक के रूप में 17 स्वर्णपदक प्रदान किए गये। दीक्षांत समारोह में कुल 777 स्नातक, परास्नातक उपाधि एवं पीएचडी में 24 उपाधि शोधार्थियों को दी गई। समारोह में आकर्षण का केन्द्र अयोध्या ग्रामीण क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय के लगभग 25 छात्र-छात्राएं रहे जिन्हे कुलाधिपति ने फल एवं शिक्षण सामग्री भेट किया। इस समारोह का मुख्य आकर्षक परिधान में पुरूष परिधान में सफेद कुर्ता एवं सफेद पायजामा तथा महिला परिधान में सफेद कुर्ता एवं सफेद सलवार अथवा लाल बार्डर की साड़ी के साथ ही सिर पर अवधी परिधान की परम्परागत पगड़ी रही।

समारोह में सर्वप्रथम कुलाधिपति एवं मुख्य अतिथि के समक्ष 65 बटालियन एनसीसी कैटेडों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दी गई। डोगरा रेजीमेंट सेंटर द्वारा मिलेट्रीबैंड से राष्ट्रगान धुन की प्रस्तुति की। दीक्षांत समारोह के अवसर पर परिसर में स्थित डाॅ. राममनोहर लोहिया एवं सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी एवं स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाओं पर कुलाधिपति एवं अतिथियों के द्वारा माल्यार्पण किया गया। दीक्षांत समारोह की शोभायात्रा विश्वविद्यालय के कौटिल्य प्रशासनिक भवन से प्रारम्भ होकर स्वामी विवेकानंद सभागार दीक्षांत समारोह आयोजन तक सम्पन्न हुई। 25 वें दीक्षांत समारोह की शुभारम्भ कुलाधिपति एवं अतिथियों द्वारा माॅ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इसके छात्राओं द्वारा वंदेमातरम एवं विश्वविद्यालय कुलगीत का समूह गायन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. अशोक शुक्ल ने किया।

इस अवसर पर अयोध्या सांसद लल्लू सिंह, विधायक वेद प्रकाश गुप्त, विधायक रामचन्द्र यादव, महापौर ऋषिकेश उपाध्याय, जिलाधिकारी अनुज कुमार झा, डीआईजी एवं एसएसपी, ब्रिगेडियर जेएस विर्क, अयोध्या के गणमान्य संत, अतुल कुमार सिंह, शक्ति सिंह, कुलसचिव उमानाथ, वित्त अधिकारी, धनंजय सिंह, मुख्य नियंता प्रो. अजय प्रताप सिंह, उपकुलसचिव विनय कुमार सिंह कार्यपरिषद के सदस्यगण, विद्यापरिषद के सदस्यगण, विभिन्न विषयों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, समन्वयक, शिक्षकगण, कर्मचारीगण एवं बड़ी संख्या में पदक धारक एवं उपाधि धारक रहे।

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