उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित भगवान शिव के धाम केदारनाथ मंदिर के कपाट आज ग्रीष्मकाल के लिये खोल दिये गये। तड़के 3 बजे से मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग द्वारा बाबा की समाधि पूजा के साथ अन्य सभी धार्मिक औपचारिकताएं पूरी की गईं।अब अगले 6 महीने तक बाबा केदारनाथ की धाम में पूजा अर्चना होगी। सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर कपाट खुलने के बाद धाम में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से की गई। तड़के 3 बजे से मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना हुई। मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग द्वारा बाबा की समाधि पूजा के साथ अन्य सभी धार्मिक औपचारिकताएं पूरी की गईं।
बता दें कि धाम को 10 क्विंटल फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया है। आपको बता दें कि अभी केवल मंदिर के कपाट खोले गए हैं, ताकि पुजारी बाबा केदार की विधि-विधान से पूजा अर्चना कर सकें। कोरोना वायरस के चलते जिला प्रशासन ने आम लोगों को केदारनाथ धाम के दर्शन करने की इजाजत नहीं दी है। फिलहाल, देवस्थानम बोर्ड के 16 सदस्यों को ही पूजा करने की इजाजत दी गई है। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा गया।
वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भगवान केदारनाथ के कपाट खोले जाने पर सभी श्रद्धालुओं को बधाई देते हुए कहा कि बाबा केदार हम सभी पर अपनी कृपा बनाकर रखें। बाबा केदार के आशीर्वाद से हम कोरोना की इस वैश्विक महामारी को हराने में अवश्य कामयाब होंगे। कोरोना के कारण इस बार आम जन दर्शन के लिये नहीं आ सके। हम सभी के मन में बाबा केदार के लिए अपार श्रद्धा है। बाबा केदार, अपने भक्तों पर स्नेह बनाये रखें, यही कामना है।
इधर, उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि कोरोना की गंभीरता को देखते हुए सीमित संख्या में बोर्ड कर्मियों, हकूकधारी तीर्थ पुरोहितों एवं प्रशासन के लोगों को केदारनाथ धाम जाने की अनुमति दी गई है। देवस्थानम बोर्ड को केदारनाथ धाम के कपाटोद्घाटन के लिए कोरोना संक्रमण से पूर्व दस लाख की ऑनलाइन बुकिंग मिल चुकी थी। ये सभी बुकिंग महाभिषेक पूजा व रुद्राभिषेक पूजा की थी, लेकिन लॉकडाउन के कारण श्रद्धालु धाम नहीं जा पाएंगे। बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश चंद्र गौड़ ने बताया कि ऑनलाइन जितनी बुकिंग मिली है, उनकी पूजा कर प्रसाद डाक से भेजा जाएगा।
वयोवृद्ध तीर्थ पुरोहित श्रीनिवास पोस्ती बताते हैं कि बाबा केदार धाम के कपाट खुलने का दिन केदारघाटीवासियों के लिए वर्ष का नया दिन जैसा होता है। इसी दिन से वे लोग अपनी वर्षभर की आजीविका का लेखाजोखा भी शुरू करते हैं। यात्रा से घाटी के 80 से अधिक गांवों के हजारों परिवार जुड़े हैं, जो स्थानीय बाजारों से लेकर पैदल मार्ग व धाम में व्यवसाय करते हैं। तीर्थ पुरोहित शीतकाल में देश के अलग-अलग राज्यों/शहरों में जाकर अपने यजमानों को यात्राकाल में बाबा के दर्शनों के लिए केदारनाथ आने का न्योता देते हैं।
बता दें कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन ने इस वर्ष केदारनाथ यात्रा को परंपराओं तक समेटकर रख दिया है। रुद्रप्रयाग से लेकर केदारघाटी के बाजारों और धाम में सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं यात्रा में फूल, पूजा-सामग्री, चाय की दुकान, ढाबा, होटल, रेस्टोरेंट, धर्मशाला/लॉज, भोजनालय, पानी/जूस, पार्किंग, पंचर, प्रसाद आदि से लाखों-करोड़ों का कारोबार होता आया है, लेकिन इस बार केदारनाथ धाम में प्रशासन, पुलिस और देवस्थानम बोर्ड के 35 लोग मौजूद हैं।