देश के बैंकों में जमा रकम सात साल में दोगुनी हो गई है। बैंकों की जमा राशि पहली बार 200 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई है। इससे पता चलता है कि 5-6 फीसदी ब्याज के बावजूद बैंकों में रकम जमा करने पर लोगों का भरोसा अब भी कायम है।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर, 2016 में बैंकों में कुल जमा रकम 100 लाख करोड़ रुपये थी। इसमें सालाना आधार पर 9.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। यह भारतीय बैंकों में जमा पैसे का सबसे कम समय में 100 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का आंकड़ा है। 29 दिसंबर, 2023 तक बैंक डिपाॅजिट का आंकड़ा 200.8 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।
यह 2022 के मुकाबले 13.2 फीसदी बढ़ा है। बैंक जमा में ऐसे समय में भी तेजी आई है, जब लोग बड़े पैमाने पर म्यूचुअल फंड और शेयरों में निवेश कर रहे हैं। शेयर बाजार का पूंजीकरण जहां 373 लाख करोड़ है, वहीं म्यूचुअल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) यानी निवेशकों के निवेश का मूल्य पहली बार 50 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है। फंड हाउसों का एयूएम 10 साल में छह गुना बढ़ा है। पिछले साल इसमें 10 लाख करोड़ की तेजी आई है।
159.6 लाख करोड़ कर्ज
आरबीआई के मुताबिक, बैंकों में जमा रकम में से 176 लाख करोड़ रुपये टर्म डिपॉजिट व बाकी पैसा बचत एवं चालू खाते में है। बैंकों ने इस दौरान 159.6 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिया है। इसमें 2022 के मुकाबले करीब 20 फीसदी इजाफा हुआ है। साल 1997 में बैंकों में जमा रकम 5.1 लाख करोड़ थी। चार साल में यह 10 लाख करोड़ हो गई। इसके बाद मार्च, 2006 में यह रकम दोगुनी होकर 20 लाख करोड़ हो गई। मार्च, 2006 से जुलाई, 2009 के बीच सबसे तेजी से बढ़कर यह अांकड़ा 40 लाख करोड़ पहुंचा था।