भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले की जांच के लिए स्थानीय पुलिस अब अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) की मदद लेगी। पुलिस को मामले की एक आरोपित वरवरा राव के घर से हार्ड डिस्क मिली थी, जो टूटी-फूटी थी। इसकी रिकवरी के लिए पुलिस एफबीआई की मदद लेगी। पुलिस को उम्मीद है कि इस हार्ड डिस्क से कई मेसेज को रिलोड किया जा सकता है। इससे माओवादियों के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है। बता दें कि वरवर राम समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़काने में भूमिका निभाई थी।
सूत्रों के मुताबिक मामले की जांच के लिए पुणे पुलिस की एक टीम बहुत जल्द अमेरिका जाएगी। एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में आहूत विजयस्तंभ अभिवादन कार्यक्रम की तैयारी के लिए पुणे के जिलाधिकारी नवल किशोर राम ने पुलिस अधिकारियों की बैठक आयोजित की थी। बैठक में भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी 2018 को हुई हिंसा की सघन जांच करने लिए FBI की मदद लेने पर भी चर्चा हुई। बैठक में पुलिस उपायुक्त मितेश घट्टे, सुधीर हिरेमठ, निवासी उपजिलाधिकारी डॉ. जयश्री कटारे, संतोष कुमार देशमुख, पूर्व उपमहापौर सिद्धार्थ धेंडे, भीमा-कोरेगांव समन्वय समिति के अध्यक्ष राहुल डंबाले समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।
पुलिस ने दावा किया कि यहां दिए गए कथित भड़काऊ बयानों ने 1 जनवरी, 2018 को कोरेगांव-भीमा की जातिवादी हिंसा में भूमिका निभाई। 6 जून, 2018 के बाद से पुलिस ने 9 ऐक्टिविस्ट्स- सुधीर धावले, रोना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, पी वरवरा राव, सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोन्साल्वेज को सीपीआई (माओवादी) से कथित संबंधों के लिए गिरफ्तार किया है।