देश की अर्थव्यवस्था की लिहाज से 1 फरवरी का दिन बेहद अहम होता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज बजट 2023 पेश करेंगी। हालांकि दुनिया में आर्थिक मंदी की आशंका के बीच सरकार के सामने अर्थव्यवस्था मजबूत करने की चुनौती है।
अखिलेश यादव ने राजनीतिक लड़ाई को दिया नया रंग, दलितों और पिछड़ों की लामबंदी शुरू
वहीं यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट है। बता दें कि वैश्विक स्तर की कई आईटी कंपनियां मंदी की आशंका के बीच छंटनी कर चुकी हैं। ऐसे में रोजगार को लेकर हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहने वाली सरकार के लिए देश में नौकरियां बचाना और रोजगार बढ़ाना बड़ी चुनौती है।
साल 2024 में लोकसभा चुनाव होना है। वहीं इसी साल नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सरकार पूंजीगत खर्च का क्या खाका तैयार करती है यह बेहद अहम होने वाला है। वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत करने के लिए सरकार को कड़े फैसले लेने होंगे। दूसरी तरफ विधानसभा चुनावों को देखते हुए ऐसी योजनाओं की घोषणा पर भी ध्यान देना होगा जो कि लोकलुभावनी हों।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ऐलान किया था कि 1 अप्रैल के बाद से 15 साल पुराने 9 लाख सरकार वाहन नहीं चलेंगे। उन्होंने स्क्रैप पॉलिसी भी लॉन्च की है। ऐसे में उम्मीद है कि सरकार ऑटो सेक्टर के लिए कुछ बड़ी घोषणाएं करेगी। कोविड की मार से अब भी ऑटो सेक्टर जूझ रहा है। वहीं सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दे रही है। हालांकि अभी इसकी कीमतों की वजह से स्वीकार्यता कम है। इलेक्ट्रिक वाहन पर तो पांच ही फीसदी जीएसटी है लेकिन इसके कंपोनेंट पर 18 से 28 फीसदी है। ऐसे में सरकार से उम्मीद है कि इस क्षेत्र में कोई बड़ी घोषणा करे।
इस बजट में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ ही कुछ लोकलुभावन ऐलान भी हो सकते हैं। आगामी चुनाव को देखते हुए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं देश की अर्थव्यवस्था को गति देने और 5 ट्रिलियन बनाने के लिए सबसे पहले वित्तीय घाटा घटाने पर जोर देना होगा। हालांकि कल्याणकारी और लोकलुभावन घोषणाओं से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता है।