सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 31 मार्च के बाद बेची गई BS-4 गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं दी जाएगी. जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस इंदिरा बनर्जी के साथ जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि ऑटोमोबाइल डीलर्स ने हमारे निर्देशों का उल्लंघन किया. मार्च के आखिर और 31 मार्च के बाद भी इन वाहनों को बेचा गया. बेंच ने कहा कि धोखाधड़ी करके हमारे आदेशों का फायदा मत उठाइए. अगर कोई बीएस-4 वाहन 31 मार्च 2020 के बाद बेचा जाता है तो उसका रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें उसने लॉकडाउन खत्म होने के बाद 10 दिन तक दिल्ली और एनसीआर को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में बीएस-4 गाड़ियों की बिक्री की इजाजत दी थी.
गाड़ियों को ऑनलाइन 3% से 40% की छूट पर कैसे बेचा गया
Federation of Automobile Dealers Association of India (FADA) के वकील ने बेंच से कहा कि कोर्ट ने बीएस-4 वाहनों की 31 मार्च से पहले बिक्री के आदेश दिए थे. ऐसे में रजिस्ट्रेशन किया गया. इस पर अदालत ने पूछा कि लॉकडाउन के समय में भी डीलरों ने वाहन कैसे बेचे. 17 हजार से ज्यादा गाड़ियों की जानकारी ई-वाहन पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई.
बेंच ने कहा- वाहन का रजिस्ट्रेशन सही होगा, तभी हम उसे प्रोटेक्ट करेंगे. गाड़ियों को ऑनलाइन 3% से 40% की छूट पर कैसे बेचा गया? वह भी 31 मार्च के बाद…यह क्या धोखाधड़ी नहीं है?
बेंच 23 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगी
जस्टिस मिश्रा ने एफएडीए से कहा, ”धोखाधड़ी करके फायदा न उठाएं.” बेंच ने केंद्र से 31 मार्च को वाहन पोर्टल पोस्ट पर अपलोड किए गए वाहनों और इस तारीख से 15 दिन पहले का डेटा दर्ज करने को कहा. शीर्ष अदालत ने एफएडीए को सरकार को बेचे जाने वाले वाहनों का डेटा देने को भी कहा. बेंच 23 जुलाई को इस मामले की सुनवाई करेगी.
बीएस का मतलब भारत स्टेज से है. इसका संबंध वाहनों द्वारा पैदा होने वाले प्रदूषण से है. बीएस का स्तर वाहनों का प्रदूषण तय करता है. बीएस का स्तर जितना अधिक रहेगा, वाहन उतना ही कम प्रदूषण पैदा करेगा.