लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविधालय,लखनऊ की शिक्षिका डॉ अलका सिंह ने अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अंतर्विभागीय सामाजिक, विधिक एवं न्यायिक पहलुओं एक अंतर विषयक मॉडल की परिकल्पना पर प्रकाश डाला।
फार ईस्टर्न फेडरल यूनिवर्सिटी, रूस के सहयोग से बेनेट यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा द्वारा आयोजित ‘इंटरसेक्शनलिटी एंड जस्टिस’ पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में एक तकनीकी सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ अलका सिंह ने कहा की शैक्षणिक, सामाजिक और विधिक पक्षों में अंतर्विभागीय एवं अंतर्विषयक परिदृश्य पर शोध एवं चर्चा की आवश्यकता है।
डॉ अलका सिंह ने कहा कि “शिक्षा के सम्यक प्रयोगों द्वारा हमारे समाज में समूहों के बीच असमानताओं और भेदभाव को समाप्त किया जा सकता है, चाहे वह नस्लवाद, यौन अभिविन्यास, पहचान के मुद्दे, लिंग भेदभाव या शक्ति असंतुलन का कोई अन्य रूप हो।
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कानूनी बहस और चर्चा में अंतर्विभागीय मुद्दे अधिक समतावादी प्रणाली बनाने की दिशा में वकालत और उपचारात्मक प्रथाओं के संबंध में गतिशीलता को उजागर करने के लिए एक प्रिज्म के रूप में कार्य करते हैं।”
सत्र में आईआईएम रोहतक से डॉ अचिंत्य अरोड़ा, एफईएफयू, रूस से प्रोफेसर नताली प्रिसेकिना, डॉ सुमन लुहाच, डॉ सिद्धार्थ सिंह और डॉ राजश्री सिंह उपस्थित थे। बेनेट यूनिवर्सिटी, नोएडा से शिक्षकों, छात्रों समेत कई प्रतिभागियों और उक्त क्षेत्र के विद्वानों एवं विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।