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Justice Yashwant Varma: बंगले में मिला कैश भंडार, SC कॉलेजियम ने की तबादले की सिफारिश, राज्यसभा में हंगामा

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) अचानक सुर्ख़ियों में हैं। जस्टिस यशवंत वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी बंगले (Government Ungalow) में आग (Fire) लग गई थी, जिसके बाद फायर ब्रिगेड (FireBrigade) की टीम आग बुझाने के लिए पहुंची। आग पर काबू पाने के दौरान टीम को बंगले से भारी मात्रा में नकदी (Huge Amount of Cash) बरामद हुई, जिससे मामला और अधिक गंभीर हो गया। आग लगने की घटना के समय जस्टिस वर्मा दिल्ली में मौजूद नहीं थे। उनके परिजनों ने ही फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी।

मौके पर आग बुझाने पहुंची पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम को घर में भारी मात्रा में नकदी मिली। टीम ने इसकी सुचना अपने अधिकारियों को दी। इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम तुरंत हरकत में आया और जस्टिस वर्मा का तबादला पुनः इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया। पुलिस जांच टीम और अन्य अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक़ यह घटना अत्यंत वीभत्स और अजूबी है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के बंगले में अचानक आग लगने और भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद तहलका मच गया। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने इस मामले को राजयसभा में उठाया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनकी इलाहाबाद हाईकोर्ट में वापसी का सुझाव दिया। अब सभी की नजरें केंद्र सरकार के रूख पर लगी हैं।

गौरतलब है कि जस्टिस यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। यशवंत वर्मा ने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बीकॉम (ऑनर्स) किया और उसके बाद रेवा विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश से एलएलबी की डिग्री प्राप्त की और 8 अगस्त 1992 को वकील के रूप में अपना पंजीकरण कराया था। लगभग ढाई दशक बाद ही यशवंत इलाहाबाद हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए हो गए। 11 अक्टूबर को वर्मा का तबादला दिल्ली हाईकोर्ट में हुआ और उन्होंने वहां न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाल लिया।

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बताते चलें कि जस्टिस वर्मा ने श्रम और औद्योगिक कानून, कॉर्पोरेट कानून, कराधान और संबंधित क्षेत्रों में विशेष दक्षता हासिल की है। उन्होंने 2006 से इलाहाबाद हाईकोर्ट में विशेष वकील के रूप में भी काम किया और 2012 से 2013 तक उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता के रूप में भी सेवाएं दीं थी। हालंकि अब सभी की निगाहें जस्टिस वर्मा के के भविष्य पर है।

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