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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…लोग सरकारी प्राइमरी स्कूल को कमतर आंकते हैं!

मैं आज जब प्रपंच चबूतरे पर पहुंचा तो चतुरी चाचा, ककुवा व बड़के दद्दा लड्डू खा रहे थे। चबूतरे पर तीन-चार डिब्बे मिठाई रखी थी। मेरे पहुंचते ही चतुरी चाचा चहक पड़े। मैं जैसे दो गज की दूरी पर पड़ी एक कुर्सी पर बैठा। ककुवा ने मुझे हाथ धोकर लड्डू खाने का आदेश दिया। आज ककुवा बहुत खुश थे। क्योंकि, उनकी पोती इंटरमीडिएट परीक्षा में 86 प्रतिशत नम्बर लाई थी। इसलिए आज ककुवा प्रपंच चबूतरे पर मिठाई लेकर सबसे पहले आ गए थे। मैं लड्डू खाकर पानी पी ही रहा था, तभी कासिम चचा व मुंशीजी भी आ धमके। उन दोनों ने आते ही ककुवा को बधाई देकर मिठाई खाई। सब लोग पानी पीकर बतकही के लिए कुर्सियों पर विराज गए। तब चतुरी चाचा बोले- सब लोग मेरा मुँह देखो। हम सब उनके चेहरे की तरफ देखने लगे। हम लोग आवक थे। कुछ समझ ही नहीं आया। ककुवा ने कहा- का चतुरी भाई, तुमार चेहरवा तौ वही तिना हय। ईमा का बदला हय? जौ देखी हम पंच।

चतुरी चाचा का पारा चढ़ गया। वह बोले- तुम सब जने आँखिन कय आँधर हौ। यहू मॉस्क नाय देखाय रहा। सौ दांय कहा हय कि बिन मॉस्क केरे बाहर न रहव। मिठाई खाय केरी खातिर सब जने मॉस्क निकरेव तौ दुबारा लाग लेतिव। इतना सुनते ही हम लोगों को अपनी गलती का अहसास हो गया। सबने तुरन्त अपनी जेब से मॉस्क निकाल कर लगा लिया। ककुवा ने भी अपने गमछे से मुंह-नाक को ढक लिया। दरअसल, ककुवा को मॉस्क लगाने में ऊब लगती है। वह शुरू से ही गमछा ही बांध रहे हैं।

बतकही आगे बढ़ाते हुए कासिम चचा ने कहा- हमारे पढ़ाए सभी बच्चे हाईस्कूल और इंटर पास हो गए। क्योंकि, सबकी नींव मजबूत थी। इस बात की मुझे बड़ी खुशी है। लोग सरकारी प्राइमरी स्कूल को कमतर आंकते हैं। परंतु, कल के रिजल्ट से समझ में आया होगा। निजी स्कूल में पढ़े तमाम बच्चे फेल हो गए। यूपी बोर्ड में अब नकल विहीन परीक्षा होती है। मुलायम सरकार में स्वकेंद्र परीक्षा प्रणाली लागू थी। तब खूब नकल होती थी। इससे यूपी बोर्ड बदनाम हो गया था। लेकिन, कल्याण सरकार में शिक्षामंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह (अब मोदी सरकार के रक्षामंत्री) ने यूपी बोर्ड की इंटर और हाईस्कूल परीक्षा को नकल विहीन बनाकर ही दम लिया था।

ककुवा बोले- सही कहेव कासिम भइय्या। अबसिला अपने गांव केर सारे लरिका-बिटिया पास होय गए। ई सब गांव केरी प्राइमरी महियाँ पढ़िन रहय। पिछली दफा तौ गाँव केरे तीन लरिका फेल होय गए रहयं। हमार पोती गांव महियाँ सबसे ज्यादा नम्बर लाई हय। काल्हि न्यूज़ मा बताइन रहय कि बिटौइन यहू साल लरिकन का पाछे छोड़य दिहिन। द्याखा जाय तौ आज काल्हि सब कहूँ बिटौनी आगे हयँ। लरिका ससुरे छददरी निकर रहे।

तभी चंदू बिटिया गुनगुना नींबू पानी और गिलोय का काढ़ा लेकर हाजिर हो गयी। सबने पानी पिया फिर काढ़े का कुल्हड़ उठा लिया। ककुवा एक डिब्बा मिठाई चंदू बिटिया को देकर बोले- मुन्नी यह लेव मिठाई, तुमरी दीदी इंटर पास होय गईं। जाव अपने घरमा सबका मिठाई खावव। चंदू मिठाई का डिब्बा लेकर फुर्र हो गयी। फिर गिलोय काढ़े के साथ पंचायत आगे बढ़ी। चतुरी चाचा बोले- रिपोर्टर, यूपी बोर्ड के रिजल्ट के बारे में कुछ और बताओ। हमने बताया कि इस साल बागपत की रिया जैन हाईस्कूल में यूपी टॉप किया है। वहीं, बागपत का ही अनुराग मलिक इंटर का टॉपर है। हाईस्कूल में 83.31 प्रतिशत और इंटर में 74.63 प्रतिशत बच्चे उत्तीर्ण हुए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि आठ लाख बच्चे अपनी मातृभाषा हिन्दी में फेल हो गए हैं।

काफी देर से चुप बैठे बड़के दद्दा ने कहा- इस समय दो बातों को लेकर बड़ी चिंता हो रही है। एक तो चालबाज चीन युद्ध करने पर आमादा है। दूसरे चीन से ही आयी कोरोना महामारी अब अपने देश में बहुत तेजी से फैल रही है। हालांकि, दोनों मोर्चों पर मोदी सरकार बहुत अच्छा कर रही है। अब इन दोनों चीजों को लेकर सबसे बड़ी जरूरत जनता के जागरूक और एकजुट रहने की है। एक तरफ चीन लद्दाख इलाके में भारत को आंखें दिखा रहा है। दूसरी तरफ चीन नेपाल और पाकिस्तान को उकसा रखा है। बहरहाल, भारतीय सेना हर मोर्चे पर मुँह तोड़ जवाब देने में सक्षम है। इधर, देश में कोरोना के तकरीबन सवा पांच लाख मरीज हो गए हैं।अब तक करीब 16 हजार लोग बेमौत मारे जा चुके हैं।

चतुरी चाचा बोले- बड़के तुम बात सही कह रहे हो। दोनों मुद्दे पर अब आम जन को सरकार के साथ जंग करनी होगी। चीन को सबक सिखाने के लिए चीन निर्मित हर चीज का संपूर्ण बहिष्कार किया जाए। साथ ही, कोरोना महामारी से बचने के लिए मॉस्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बहुत कड़ाई से किया जाए। तभी दोनों मोर्चों पर भारत को जीत हासिल होगी। विपक्ष की राजनीति और जनता की लापरवाही देश के हित में नहीं है। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को फिर चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बतकही के साथ हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!

 

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

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