पिछले रविवार की तरह आज सुबह भी घना कोहरा था। भीषण ठंड थी। प्रपंच चबूतरे पर सन्नाटा था। मैं सीधे चतुरी चाचा के मड़हे में पहुंच गया। वहां तख्त पर कम्बल ओढ़े चाचा विराजमान थे। आम की सूखी मोटी लकड़ियां अलाव में धधक रही थीं। मैं अलाव के किनारे पड़ी कुर्सियों पर बैठ गया। तभी कासिम चचा और मुंशीजी पधार गए। चतुरी चाचा आज किसान आंदोलन को लेकर बड़े असहज थे।
चतुरी चाचा बोले- आखिर इस किसान आंदोलन की समाप्ति कैसे होगी? कृषि मंत्री व अन्य काबीना मंत्री किसान नेताओं से 11 बार वार्ता कर चुके हैं। केंद्र सरकार ने अब साल-डेढ़ साल तक तीनों कृषि कानूनों को स्थगित रखने की बात कही है। सरकार लगातार किसान नेताओं से वार्ता कर रही है। नए कृषि कानूनों के फायदे समझा रही है। मोदी सरकार कानूनों में जरूरी संशोधन करने को तैयार है। इसके बाद भी सैकड़ों किसान इस भीषण ठंड में धरने पर बैठे हैं।
किसान संगठन तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े हैं। आंदोलित किसान 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकालने पर आमादा हैं। दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों ने सुप्रीम कोर्ट की कमेटी को भी ठुकरा दिया है। उच्च न्यायालय ने ट्रैक्टर रैली का विषय दिल्ली पुलिस और किसानों पर छोड़ दिया। दिल्ली बॉर्डर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं की हठ समझ से परे है। कुलमिलाकर यह स्थिति ठीक नहीं है।
इसी बीच ककुवा व बड़के दद्दा की जोड़ी आ गई थी। कासिम चचा ने चतुरी चाचा की बात को काटते हुए कहा- केंद्र सरकार हठधर्मिता कर रही है। जब किसान कोई कानून नहीं चाहते हैं, तो नए कृषि कानून उन पर क्यों लादे जा रहे हैं? इतनी कड़ाके की ठंड में धरने पर बैठे किसानों के प्रति सरकार को संवेदनशील होना चाहिए। किसान आंदोलन को दो महीने पूरे हो रहे हैं। इस बीच कई किसानों की मौत हो चुकी है। ठंड से अनेकानेक बुजुर्ग किसान बीमार हो चुके हैं। यह सब आगे चलकर मोदी सरकार और भाजपा को भारी पड़ेगा।
तभी चंदू बिटिया चाय नाश्ता लेकर आ गयी। हम सबने आलू का चटपटा कचालू खाकर गुनगुना नींबू पानी पीया। फिर सबने तुलसी-अदरक वाली कड़क चाय का कुल्हड़ उठा लिया। ककुवा ने बतकही को आगे बढ़ाते हुए कहा- ई गलन वाली ठंडक मा हम बुजुर्गन अउ पशु-पछिन खातिर बड़ी आफत हय। दूसरे पाला गिरय क्यार डर बना हय। पाला गिरे ते मटर अउ अरहर केरी फ़सलन का बड़ा नुकसान होई। वैसन लगातार कोहरे ते आलू अउ सरसों केरी फ़सलन का नुकसान होय रहा। बसि, ठंड ते गेंहुक फायदा होय रहा।
बड़के दद्दा ने प्रपंच का विषयांतर करते हुए कहा- इस बार भारतीय क्रिकेट टीम के जम्बाज खिलाड़ियों ने ऑस्ट्रेलिया को उसी के घरेलू मैदान में जमकर पीटा। शुक्रवार को हमारी विजेता टीम स्वदेश लौटी है। कोरोना काल में खेलों का भी बड़ा नुकसान हुआ। पिछले साल ओलंपिक खेल टल गए। आईपीएल मैच बिना दर्शकों के निबट गए। खेल की अन्य तमाम प्रतियोगिताएं नहीं हो सकीं। अब कोरोना की रफ्तार कम हुई है। भारत सहित अनेक देशों में कोरोना की वैक्सीन लगने लगी है। इससे अन्य चीजों के साथ खेल भी पटरी पर लौट रहा है।
इस पर ककुवा बोले- मुला, अपने गाँव मा लरिका याकव दिन सत्तारी नाय बैठे। शुरुआत मा दुई महीना बड़ी मुश्किल ते ससुरे घरमा मारे-बाँधे रुके रहे। उहिके बादि ते सारे लरिका ख्यातन-बागन मा किरकेट खेलि रहे। अब तौ बस खेलन मा किरकेट बचा हय। गुल्ली-डंडा, आइस-पाइस, ऊंचा-नीचा, छुई-छुव्वर, सुरबग्घी, सियर-सटकना, नींबू-छू, गोट्टा, सकरी-सतला व सतगंउवा कौनव खेलतय नई। बसि, किरकेट क्यारु भूत सवार हय। आज केर लरिका-बिटिया कबड्डी कबहूँ-कभार भले खेलत हयँ।
अब तक चुप बैठे मुंशीजी अंतरराष्ट्रीय चर्चा करते हुए बोले- अमेरिका की कमान जो बाइडन ने सम्भाल ली। डोनॉल्ड ट्रम्प की बड़ी असहज विदाई हुई। ट्रम्प ने आखिरी दिनों में जग हंसाई करवा ली। दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में सत्ता की खातिर दंगा और बवाल हुआ। चुनाव में पराजित हुए राष्ट्रपति ट्रम्प के समर्थकों ने संसद पर चढ़ाई कर दी। बहरहाल, अब अमेरिका में शांति है। इधर, भारत में तरह-तरह के चुनाव चल रहे हैं। सारे विपक्षी दल भाजपा से दो-दो हाथ कर रहे हैं। यूपी में विधान परिषद चुनाव में भाजपा बढ़त बनाकर जीती है। पश्चिम बंगाल में सन्निकट विधानसभा चुनाव को लेकर रक्तरंजित राजनीति हो रही है। वहां रविन्द्र नाथ टैगोर एवं नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर भी घिनौनी राजनीति हो रही है। अन्य कई राज्यों में चुनावी राजनीति हो रही है। उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का भी बिगुल बज गया है। गांवों में राजनीति चरम पर है।
अंत में चतुरी चाचा ने सबको नेताजी सुभाषचंद्र बोस जयन्ती (23 जनवरी) और गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा- हम सबको जाति, धर्म, क्षेत्र, भाषा के विवाद से बचकर राष्ट्रहित में काम करना चाहिए। वह फिर बोले- रिपोर्टर, अब कोरउना अपडेट दै देव। प्रपंच समाप्त कीन जाए। काहे ते हमका मटर बेचय मंडी जाए का हय। हमने बताया कि विश्व में कोरोना की रफ्तार कुछ कम हो गयी है। संक्रमण के मामले में अमेरिका पहले और भारत दूसरे स्थान पर है। भारत सहित तकरीबन 20 देशों में कोरोना महामारी का टीका लग रहा है। हिन्दुस्तान में कोविशील्ड और कोवैक्सिन नामक स्वदेशी टीके लग रहे हैं। इसकी पहली खुराक सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को दी जा रही है। दूसरे चरण में तीन करोड़ कोरोना योद्धाओं एवं बुजुर्गों को टीका लगेगा। बाकी तमाम देश टीके का इंतजार कर रहे हैं। दुनिया में अब तक पौने 10 करोड़ लोग कोरोना की जद में आ चुके हैं। जबकि 20 लाख 93 हजार से अधिक लोग बैमौत मारे जा चुके हैं। भारत की बात करें तो यहां अब तक एक करोड़ सवा छह लाख से ज्यादा लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। जबकि 15 लाख तीन हजार से अधिक लोगों को बचाया नहीं जा सका है। इसी के साथ आज की बतकही समाप्त हो गई। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाले प्रपंच के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!