चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। उसने दुनिया में अपनी सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए सीक्रेट ‘प्रोजेक्ट 141’ पर कार्य करना शुरू कर दिया है। इसके जरिये वह पूर्व और पश्चिम अफ्रीका, मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में सैन्य और नौसैनिक सुविधाएं स्थापित करना चाहता है। पेंटागन के लीक हुए दस्तावेजों से खुलासा होने के बाद अमेरिका हरकत में आ गया है।
चीनी सैन्य सुविधा होने के संदेह पर वाशिंगटन ने निर्माण कार्य को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले पर अमेरिकी अधिकारियों ने संयुक्त अरब अमीरात सरकार को चेतावनी दी कि देश में चीनी सेना के मौजूदगी से दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़ सकते हैं।
अमेरिकी अधिकारियों के कई दौर की बैठक के बाद निर्माण कार्य को रोक दिया गया। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक यूएई में चीन की गतिविधियों के बारे में अमेरिकी अधिकारियों के बीच चिंता का स्तर अलग-अलग है। कुछ इसे प्रबंधनीय विकास के रूप में देखते हैं तो वहीं कुछ इसे महत्वपूर्ण खतरे के रूप में देखते हैं। इसके अलावा इस बारे में आम सहमति नहीं बनी है कि क्या यूएई ने चीन के साथ गहराई से गठबंधन बनाने का रणनीतिक निर्णय लिया है?
दस्तावेजों के मुताबिक पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने गिनी, जिबूती, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कंबोडिया और मोजाम्बिक में सैन्य चौकियों का विश्वव्यापी नेटवर्क बनाने के लिए ‘प्रोजेक्ट 141’ की योजना बनाई है। इनमें से वर्तमान में दो निर्माणाधीन हैं, जबकि एक संचालित हो रहा है। इसके अलावा शेष दो अनुमति मिलने के इंतजार में हैं। इसके तहत चीन गुपचुप तरीके से संयुक्त अरब अमीरात के खलीफा पोर्ट पर निर्माण कार्य कर रहा था। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इसका पता लगाया है। इसके बाद अमेरिकी प्रशासन हरकत में आया।