• सीएमओ सभागार में फाइलेरिया मार्बिडिटी मैनेजमेंट पर हुई कार्यशाला
कानपुर नगर। फाइलेरिया जैसे गंभीर संक्रामक रोग से मुक्ति दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग तत्पर है। इसी क्रम में शुक्रवार को फाइलेरिया मार्बिडिटी मैनेजमेंट (एमएमडीपी) के अंतर्गत मुख्य चिकित्सा अधिकारी सभागार में एक दिवसीय जनपद स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें फाइलेरिया मरीजों के प्रबंधन पर चर्चा की गई।
कार्यशाला में जिला मलेरिया अधिकारी डॉ मनोज कुमार ने फाइलेरिया रोगियों के प्रबंधन के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि फाइलेरिया का रोग किसी भी उम्र और अवस्था में हो सकता है। ऐसी स्थिति में फाइलेरिया रोग से प्रभावित अंगों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना होता है। जिस रोगी को हाथ-पैर में फाइलेरिया की शिकायत होती है, उसे डॉक्टर से परामर्श लेकर नियमित तौर पर व्यायाम भी करना चाहिए। कार्यशाला में फाइलेरिया रोगियों के प्रबंधन का डैमो भी प्रदर्शित किया गया।
पाथ संस्था से रीजनल एनडीटी ऑफीसर डॉ शिवकांत ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को फाइलेरिया प्रभावित मरीजों को किस प्रकार प्रभावित अंग को धोना और सुखाने के तरीके के संदर्भ में विस्तार पूर्वक जानकारी दी और मरीजों को नियमित व्यायाम के विभिन्न चरणों के संदर्भ में भी विस्तार से बताया। ने बताया कि फाइलेरिया शरीर के प्राइवेट पार्टस को भी प्रभावित करता है। कार्यशाला में एसीएमओ डॉ.शिशिर पुरी , जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. राकेश सिंह , सभी ब्लॉक के चिकित्सा अधीक्षक , बीपीएम, एचईओ, हेल्थ सुपरवाइजर, मलेरिया और फाइलेरिया निरीक्षक आदि मौजूद रहे।
लक्षण दिखें तो डाक्टर से संपर्क करें
जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि यदि ज्यादा दिनों तक बुखार रहे, पुरुष के जननांग में या महिलाओं के स्तन में दर्द या सूजन रहे और खुजली हो, हाथ-पैर में भी सूजन या दर्द रहे तो यह #फाइलेरिया होने के लक्षण हैं। तुरंत चिकित्सक से संपर्क कर चिकित्सा शुरू करवाना सुनिश्चित करवाएँ।
मरीज नियमित रूप से बताये गए दवा का सेवन करें और अपने परिवारजनों को भी चाहे वो मरीज न भी हों तो एमडीए अभियान के दौरान डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन जरूर करने के लिए प्रेरित करें। पांच साल तक एक बार इन दवाओं के सेवन से कोई भी व्यक्ति आजीवन फाइलेरिया के खतरे से मुक्त हो सकता है।
आहार और सफाई का रखें ख्याल
फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मच्छर गंदगी में पैदा होते हैं। इसलिए इस रोग से बचना है, तो आस-पास सफाई रखना जरूरी है। दूषित पानी, कूड़ा जमने ना दें, जमे पानी पर कैरोसीन तेल छिड़क कर मच्छरों को पनपने से रोकें, सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं को ना दें खुराक द्यगर्भवती महिलाओं, दो साल से कम उम्र के बच्चों और किसी गंभीर रोग होने पर फाइलेरिया की दवा नहीं खिलानी है, अन्यथा नुकसान दायक हो सकता है। एक तरफ जहां मरीजों का उपचार एवं प्रबंधन तो दूसरे तरफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को साल में एक बार डीईसी एवं अल्बेंडाजोल दवा का सेवन कराना आवश्यक है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर