बिधूना। बिधूना में विकास खंड के ग्राम मऊ गूरा गांव में स्थित प्रसिद्ध देवघट बाबा मंदिर परिसर में रूद्र महायज्ञ एवं 9 दिवसीय रामकथा का आयोजन चल रहा है। 7वें दिन शुक्रवार को आचार्य रामजी द्विवेदी ने गोस्वामी तुलसीदास महाराज द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के अयोध्या काण्ड में वर्णित भगवान श्रीराम के वन गमन के प्रसंग के तहत भरत चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने भरत के मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्रति अटूट प्रेम और वात्सल्य भाव के कई प्रसंग सुनाकर लोगों को भावविभोर कर दिया।
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कथा के दौरान प्रसंग के माध्यम से कथावाचक रामजी द्विवेदी ने बताया कि भ्रातृत्व प्रेम किसी का है तो वह भरत का। वर्तमान समय में भरत चरित्र की बहुत बड़ी प्राथमिकता है। स्वार्थ के कारण आज भाई-भाई जहां दुश्मन जैसा व्यवहार करते हैं, वहीं भरत चरित्र त्याग, संयम, धैर्य और ईश्वर प्रेम का दूसरा उदाहरण है।
भरत का विग्रह श्रीराम की प्रेम मूर्ति के समान है। जिससे भाई के प्रति प्रेम की शिक्षा मिलती है। इस मनुष्य जीवन में भाई व ईश्वर के प्रति प्रेम नहीं है, तो वह जीवन पशु के समान है। कहा कि सभी को भरत और श्रीराम से भाई व ईश्वर प्रेम की सीख लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भरत ने राजतिलक का परित्याग कर भातृ प्रेम की अनूठी मिसाल पेश कर समाज को जो संदेश दिया, वह आज लोग भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाती है और हमें लोभ लालच न कर प्रेम बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
रामायण में भरत ही एक ऐसा पात्र है, जिसमें स्वार्थ व परमार्थ दोनों को समान दर्जा दिया गया। इसलिए भरत का चरित्र अनुकरणीय है। भरत चरित्र का प्रत्येक प्रसंग धर्म सार है क्योंकि भरत का सिद्धांत लक्ष्य की प्राप्ति व राम के प्रेम को दर्शाता है।
कथा सुनने पहुंचे दिबियापुर के हेमंत गुप्ता व उनकि पत्नी का मंदिर के महंत शरद विज्ञान आनंदपुरी महाराज जी के द्वारा माल्यार्पण व श्री राम का चित्र देकर सम्मानित किया गया। हेमंत कुमार गुप्ता ने बताया कि व्यक्ति के जीवन के लिए तीन चीजें बहुत ही महत्वपूर्ण है मां, महात्मा और परमात्मा। उन्होंने कहा कि इन तीनों चीजों का होना व्यक्ति के लिए अति आवश्यक है। इस अवसर पर हरी चौबे, छुन्नू तिवारी, गुड्डू श्रीवास्तव, निर्मला चौहान, अनुपमा सेंगर अनेक श्रद्धालु मौजूद रहे।
रिपोर्ट – राहुल तिवारी/संदीप राठौर चुनमुन