आम आदमी को कमरतोड़ महंगाई से कुछ राहत मिली है. अक्टूबर की ऊंचाई से अरहर दाल की कीमतों में 15-20% की गिरावट आ चुकी है. जबकि मसूर और चना सहित अन्य दालों में सरकार द्वारा उठाए गए उपायों के बाद या तो स्थिरता है या गिरावट आई है.
सरकार द्वारा 15 नवंबर से 31 दिसंबर तक तुअर आयात करने की अवधि में विस्तार की घोषणा के बाद से लातूर में उच्च गुणवत्ता वाली तुअर दाल की एक्स-मिल कीमत 120 रुपये / किलोग्राम से घटकर 100 रुपये किलो रह गई है. सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राज्यों को तुअर बेचना भी शुरू कर दिया है.
पिछले महीने, सरकार ने अरहर आयात करने की अवधि और मसूर पर कम आयात शुल्क को 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया. इसके अलावा इन कमोडिटीज की कीमतों में कमी लाने के लिए बाजार में चना उतार दिया. अरहर की दाल के मिल गेट और खुदरा मूल्य क्रमश: 120 रुपये प्रति किलोग्राम और 150 रुपये प्रति किलो पहुंच गए थे.
केंद्र सरकार ने हाल ही में मोजाम्बिक के साथ फिर से पांच साल के लिए तुअर दाल के आयात के लिए द्विपक्षीय समझौते को नवीनीकृत किया, जिससे भारत हर साल 2 लाख टन दालें आयात कर सकेगा. महाराष्ट्र सरकार के दालों के प्रोसेसर नितिन कलांत्री ने कहा, सरकार द्वारा घोषित विभिन्न उपायों ने बाजार की भावनाओं को बदल दिया, जिससे बाजार में दालों की मांग कम हो गई. इससे कीमतों को काबू करने में मदद मिली है.