लखनऊ। विश्वविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर डॉ. सुधांशु त्रिवेदी द्वारा एक ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया। विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने माननीय सांसद महोदय का स्वागत किया और उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय के पिछले कुछ महीनों के कार्यों और कोरोना महामारी के दौरान उठाए गए अकैडमिक, सामाजिक और उन्मेशिक गतिविधियों से अवगत करवाया।
डॉ. त्रिवेदी ने लखनऊ में अपने समय और एक शताब्दी सम्पन्न इतिहास युक्त इस विश्वविद्यालय के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए अपना संबोधन शुरू किया, और फिर वे आज के कार्यक्रम के उद्देश्य-NEP2020 की डिकोंडींग- करते हुए आगे बढ़े। डॉ त्रिवेदी ने जूम के दर्शकों और इस कार्यक्रम को यूट्यूब पर लाइव देख रहे लोगों को सूचित किया कि भारत मे विश्व मे सबसे ज्यादा जनसंख्या विद्यालयों में अध्ययन-रत है, और NEP2020 इसी आबादी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि एनईपी 2020 पूरे देश के प्रतिनिधियों के परामर्श और सुझावों के एक बड़े पैमाने पर ड्राइव का परिणाम है, जिसमें 676 जिलें, 6600 ब्लॉक और लगभग 2.5 लाख गांव शामिल हैं। इसका उद्देश्य बेहतर शोध के साथ-साथ ग्रास-रूट लेवेल में बच्चों को अध्ययन मे रुचि के प्रति प्रेरित करना है। NEP2020 का एक मूल्य उद्देश्य छात्रों का व्यक्तित्व विकास है, जो 5+3+3+4 मॉडल के पहले पांच वर्षों के दौरान परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने या असफल होने के डर से रहित है। उन्होंने कहा कि पहली बार, इस पहले चरण में, आदिवासी स्कूलों, आंगनवाड़ी स्कूलों और अन्य छोटे पैमाने के स्कूलों को एक छत्र के नीचे एकीकृत किया जाएगा। अगले दो (3+3) चरणों में, छात्र अपने कौशल को निखारेंगे, दुनिया में विकसित होने वाली नई तकनीकों और पर्यावरणीय जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता का विकास करेंगे। उन्होंने अंतिम चरण के महत्व के बारे में भी बात की और कहा कि यह सुनिश्चित करता है कि छात्र को ‘फ्लेक्सिबिलिटी’ दी जा रही है कि वह अपनी जीवन और अपने कैरियर की जरूरतों के हिसाब से इस चरण पर एक प्रमाण पत्र, डिप्लोमा या एक डिग्री प्राप्त कर सकते हैं।
डॉ. त्रिवेदी ने यह भी बताया कि कैसे NEP2020 विभिन्न धाराओं के बीच मौजूदा विभाजन को हटा रहा है और “एक धारा से दूसरी धारा में स्विच करने के स्कोप” को बढ़ा रहा है। उन्होंने हर साल बेहतर प्रदर्शन करने वाले संस्थानों को “क्रमिक स्वायत्तता” देने की बात कही, और संस्थानों के भीतर शिक्षकों की भर्ती से संबंधित नियमों का मानकीकरण को भी एनईपी2020 का भाग बताया। उन्होंने कहा कि NEP2020 दुनिया के सबसे अच्छे विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम करने का भारत के विश्वविद्यालयों के लिए अवसर लाता है।
डॉ. त्रिवेदी ने सेवानिवृत्त और अनुभवी शिक्षकों को नए और उभरते शिक्षा संस्थानों के मार्गदर्शक के रूप में कार्यरत करने की योजना की ओर इशारा करते हुए कहा कि प्रिंसटन विश्वविद्यालय की तरह नई शिक्षा नीति एक “आइडिया बैंक” के विकास की दिशा में काम करेगी, जहां ऐसे विद्वानों के आदर्श उत्पादन को संग्रहीत किया जा सकेगा। उन्होंने NEP2020 के भारत की अनेकों मातृभाषाओं के वक्ताओं में इनके प्रति गर्व की भावना विकसित करने और क्षेत्रीय भाषाओं को दिए जाने वाले महत्व पर भी प्रकाश डाला। कुलपति प्रो आलोक कुमार राय के अनुरोध पर, डॉ त्रिवेदी ने सांसद निधि के तहत एक नए संस्थान ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड मोलेकूलर गेनेटिक्स एंड इन्फेक्षीयस डिसिजेस’ के लैब के लिए 50 लाख रुपये देने की घोषणा की। कार्यक्रम का संचालन डॉ। अजय प्रकाश ने किया और प्रो राजीव मनोहर, निदेशक, IQAC ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
डॉ.दिलीप अग्निहोत्री