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साइबर अपराध चिंताजनक, सबसे ज्यादा 22% मामले फिशिंग के, तीन साल में 28% बढ़ी लागत

डिजिटलीकरण के दौर में देश और दुनियाभर में साइबर अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में फिशिंग (नकली वेबसाइट या ईमेल के माध्यम से ठगी) साइबर अपराधियों का पसंदीदा हथियार बनता जा रहा है, जिसके जरिये वे संवेदनशील जानकारियां चुराकर लोगों को ठग रहे हैं। इसके साथ ही, डाटा चोरी की लागत भी लगातार बढ़ रही है। आरबीआई की सोमवार को जारी करेंसी एंड फाइनेंस 2023-24 रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में देश में फिशिंग के सबसे ज्यादा 22 फीसदी मामले सामने आए। इसके बाद चोरी या समझौते वाले 16 फीसदी मामले दर्ज किए गए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2020 की तुलना में 2023 में डाटा चोरी (ब्रीच) की औसत लागत 28 फीसदी बढ़कर 21.8 लाख डॉलर (18.25 करोड़ रुपये) पहुंच गई है। इन तीन वर्षों में दुनियाभर में यह लागत बढ़कर 44.5 लाख डॉलर (37.25 करोड़ रुपये) पहुंच गई। यह 2020 की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा है। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि लागत में क्या शामिल है या इसे कौन वहन करता है।

मोबाइल व ई-बैंकिंग: 20% शिकायतें
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लोकपाल को 2022-23 में मोबाइल/इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग से जुड़ी साइबर ठगी की 20 फीसदी शिकायतें मिली हैं। एटीएम/डेबिट कार्ड से संबंधित शिकायतों की संख्या 15 फीसदी रही। क्रेडिट कार्ड संबंधी संवेदनशील जानकारियां चुराकर ठगी करने के 12 फीसदी मामले दर्ज हुए अन्य संवेदनशील जानकारियां चुराने के 53 फीसदी मामले सामने आए।

साइबर सुरक्षा: केंद्रीय बैंकों ने बढ़ाया निवेश
रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर 2028 तक साइबर अपराध की लागत बढ़कर 13.82 लाख करोड़ डॉलर हो जाएगी। यह बताता है कि आने वाले समय में साइबर अपराध के मामले बढ़ते जाएंगे। इसे ध्यान में रखते हुए दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने 2020 के बाद से साइबर सुरक्षा निवेश पर पांच फीसदी तक बढ़ोतरी की है।

डिजिटल अर्थव्यवस्था: जीडीपी में 2026 तक योगदान बढ़कर 20 फीसदी होने का अनुमान
देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। 2026 तक जीडीपी में इसका योगदान बढ़कर 20 फीसदी हो जाएगा, जो अभी 10 फीसदी है। आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 से लेकर 2023-24 तक यानी पिछले सात साल में डिजिटल भुगतान में संख्या के आधार पर सालाना 50 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। मूल्य के लिहाज से यह हर साल 10 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। इस अवधि में 2,428 लाख करोड़ रुपये के 164 अरब डिजिटल लेनदेन हुए हैं।

यूपीआई: 10 गुना बढ़ा लेनदेन
यूपीआई लेनदेन संख्या के आधार पर चार साल में 10.48 गुना बढ़ा है। 2019-20 में 12.5 अरब यूपीआई लेनदेन हुए थे, जिनकी संख्या 2023-24 में 131 अरब पहुंच गई। यह कुल डिजिटल लेनदेन का 80 फीसदी है।

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