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शिक्षा में डिजिटल प्रयास

कोरोना संकट ने जीवन से जुड़े सभी विषयों को प्रभावित किया है। इस परिस्थिति में आत्मविश्वास बनाये रखना भी अपरिहार्य है। इसी के दृष्टिगत आत्मनिर्भर भारत व आपदा में अवसर जैसे विचार भी स्वीकार किये गए। शिक्षा व्यवस्था पर भी सीधा प्रभाव है। शिक्षण संस्थान बन्द है। परीक्षा व क्लासरूम शिक्षा स्थगित है। निकट भविष्य में इसके संचालन की कोई उम्मीद भी नहीं है। जब तक कोरोना संकट है,तब तक ऐसा करना भी उचित नहीं होगा। क्लास रूम में दो गज दूरी का पालन भी संभव नहीं है। परीक्षा के संबन्ध में जो गाइड लाइन जारी की गई,उन पर अधिकांश शिक्षण संस्थानों द्वारा अमल मुश्किल है। संसाधन भी पर्याप्त नहीं है। ऐसे में शिक्षा,परीक्षा पर विचार चल रहा है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ.रमेश पोखरियाल निशंक ने डिजिटल इंडिया,वोकल फॉर लोकल,देश में व्याप्त डिजिटल डिवाइड पर व्यापक विचार व अमल का आह्वान किया है। इस दिशा में सरकार उठा रही है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल और उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा भी ऐसे ही विचार व्यक्त करते रहे है। ये लोग स्वयं भी ऐसे अनेक ऑनलाइन कार्यक्रमों सहभागिता करते है।

एक ऑनलाइन कार्यक्रम में डॉ. निशंक ने कहा कि इस बीच जितने भी निर्णय लिए गए उसमें लगातार बदलती परिस्थितयों को ध्यान में रखा गया। कोई भी निर्णय लेते समय छात्रों के भविष्य के साथ साथ उनके स्वास्थ को सुरक्षित रखने को प्राथमिकता दी। एसोचैम द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कोविड के खतरे को शिक्षा के एक नए मॉडल के रूप में बदलना विषय पर विचार किया गया। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट जगत को इस आपदा को अवसर में बदलने का प्रयास करना चाहिए। इसमें निवेश से देश की शिक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ बनाया जा सकता है। शिक्षा व्यवस्था में कोविड के कारण बड़ा बदलाव आया है। इस दौर में मानव संसाधन विकास मंत्रालय आवश्यक कदम उठा रहा है। पीएम ई विद्या, वन नेशन वन चैनल जैसी पहल शुरू की गई। जिससे कि सभी वर्गों तक इस संकट काल में शिक्षा पहुंचना संभव हुआ। महामारी के कारण शिक्षण संस्थान बंद है। इसलिए डिजिटल शिक्षा पर फोकस किया गया। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, नैनोटेक्नोलाजी, वोकेशनल ट्रेनिंग आदि पर ध्यान दिया। इससे आने वाले समय में छात्रों का समग्र विकास होगा। इस विषम परिस्थिति में जितनी जिम्मेदारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की उच्च शिक्षण संस्थानों के प्रति है उतनी ही जिम्मेदारी उच्च शिक्षण संस्थानों की समाज के प्रति है। अनेक शिक्षण संस्थानों ने इस अभूतपूर्व आपातकाल में अपने सराहनीय अनुसंधानों द्वारा इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया है।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल व कुलाधिपति आनन्दी बेन पटेल ने भी कुछ समय पहले ई शिक्षण के समय उपयोगी सुझाव दिए थे। इसमें उन्होंने ठीक कहा कि ई शिक्षण की व्यवस्था इस समय विशेष रूप से उपयोगी साबित हो रही है। शिक्षण प्रक्रिया में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था को बहुत ही कम समय में लाया गया। इसमें संदेह नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया डिजिटल इंडिया अभियान अनेक क्षेत्रों में उपगोगी साबित हो रहा है। लॉक डाउन में शिक्षण संस्थान बन्द है,फिर भी ऑनलाइन क्लास व बेबीनार आदि का संचालन हो रहा है। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने शिक्षा में इस प्रगति को सामयिक व सराहनीय बताया।

उन्होंने कहा कि डिजिटल ने शिक्षा के नए प्रारूपों को गति दी है। लॉक डाउन में  शिक्षक व शिक्षण संस्थान इस दिशा में कारगर प्रयास कर रहे है। इससे शिक्षण के क्षेत्र में इस समय जो व्यवधान आया है,उसका समाधान संभव हो रहा है। इससे समाज में शिक्षण संस्थानों ने अपनी विश्वसनीयता प्रमाणित की है। संस्थान वर्तमान चुनौती से विचलित नहीं हुए। बल्कि वह इसका मुकाबला कर रहे है। इससे विद्यार्थीयों का भी मनोबल बढ़ा है। उनको स्थिति से निराश ना होने का सन्देश मिल रहा है। उनको शिक्षण संस्थान सकारात्मक चिंतन की प्रेरणा दे रहे है,इसके लिए ऑनलाइन अनेक प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे है। शिक्षाविदों तथा संस्थानों द्वारा समाज के लिए ज्ञान और विशेषज्ञता के स्रोत के रूप में कार्य किया जा रहा है। यह सही है कि कोरोना से संबंधित व्यवधान शिक्षकों को शिक्षा के सुधार के क्षेत्र में पुनर्विचार करने का समय दिया है। इसका सार्थक उपयोग भी किया जा रहा है।

राज्यपाल ने स्वयं इसकी प्रेरणा दी है। उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में ऐसा कभी नहीं हुआ कि सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान एक ही समय में और एक ही कारण से लॉकडाउन में गए हैं। कोरोना वायरस का प्रभाव दूरगामी होगा। शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घावधि में इसका क्या अभिप्राय हो सकता है, इस पर भी पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। इसी क्रम में भविष्य की शैक्षणिक आवश्यकताओं के अनुरूप विचार करना चाहिए। भविष्य की पीढ़ियों को शिक्षित बनाने  पर भी इस समय विचार किया जा सकता है। क्योंकि यह अभूतपूर्व स्थिति है। लॉक डाउन में जो समय मिला है,उसमें शिक्षक वर्तमान के साथ भविष्य की योजना पर भी विचार कर सकते है। राज्यपाल ने भी शिक्षा से जुड़े सभी लोगों से वर्तमान परिस्थिति के मुकाबले हेतु चिन्तन मनन  करने का आह्वान किया है।

इस समय शिक्षाविद विद्यार्थियों से ऑनलाइन संवाद बनाये हुए है। वर्तमान परिस्थिति के आंकलन व विश्लेषण का यह उचित अवसर है। नए रूप में अध्ययन की दशा एवं दिशा को तय करने का भी यह समय है। कुलाधिपति ने कहा कि  ज्ञान धारक के रूप में  शिक्षक की धारणा विद्यार्थियों को ज्ञान प्रदान करने तक सीमित नहीं है। वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता पर नए सिरे से विचार करना होगा। विशेष रूप से सीखने के चार स्तम्भों ज्ञानयोग,कर्मयोग, सहयोग और आत्मयोग का समन्वय करना होगा। तकनीकी कौशल सीखना अपरिहार्य हैं। फोन टेबलेट लैपटॉप कम्प्यूटर आदि का भी सार्थक उपयोग करना होगा।

रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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