- Published by- @MrAnshulGaurav
- Friday, May 13, 2022
केंद्र व उत्तर प्रदेश की वर्तमान सरकारें लोगों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की अनेक कार्य योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है। इसमें लघु उद्योग
कृषि व पशुपालन के क्षेत्र भी शामिल हैं। जिनमें भी महिला स्वावलंबन के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे है। जिससे देश के समग्र विकास में आधी आबादी का योगदान भी सुनिश्चित हो सके। इसके दृष्टिगत राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों का संचालन हो रहा है।
प्राचीन काल में भारत के त्रषियों ने संगम के तट पर
-यत्र नार्यंस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:
का उद्घोष किया था। यह भारतीय संस्कृति का सूत्र वाक्य बन गया।
नरेंद्र मोदी ने कहा था कि देश का डेयरी सेक्टर श्वेत क्रांति में नई ऊर्जा,किसानों की स्थिति को बदलने में बड़ी भूमिका निभा सकती है। पशुपालन करोड़ों किसानों की अतिरिक्त आय का स्रोत बन सकता है। भारत के डेयरी उत्पाद का वैश्विक बाजार में महत्व है। यह महिलाओं के आर्थिक विकास को बढ़ाने का जरिया है। पशुधन बायोगैस,जैविक खेती और प्राकृतिक खेती का भी बहुत बड़ा आधार है। जो पशु दूध देने योग्य नहीं रह जाते,वह बोझ नहीं होते बल्कि वे भी हर दिन किसानों की आय बढ़ा सकते हैं। कुछ समय पहले नरेंद्र मोदी ने काशी में बनास डेयरी संकुल का शिलान्यास किया था। इसके बाद वह प्रयागराज पहुंचे थे। वहां उन्होंने महिला स्वावलंबन अभियान शुरू किया था। इसी प्रकार विगत दिनों वह गुजरात में महिला स्वावलंबन व बनास डेयरी से संबंधित कार्यक्रमों में सहभागी हुए। यहां नरेन्द्र मोदी ने बनास डेयरी कॉम्प्लेक्स में महिला लाभार्थियों से संवाद किया।
महिला लाभार्थियों ने कहा कि दूध की बिक्री से अच्छी कमाई हो रही है। गैस सिलेंडर मिलने से रसोई का काम आसान हुआ है। पहले लकड़ियां लेने पहाड़ियों पर जाना पड़ता था। नरेंद्र मोदी जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने ज्योतिग्राम योजना शुरू की थी। इससे बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हुई थी। ड्रिप सिंचाई का प्रयोग बढ़ रहा है। इससे कृषि लागत में कमी आई है। किसानों की आय बढ़ी है।
अब अगर कोई पशु बीमार होता है तो तीस मिनट में एंबुलेंस उनके पास पहुंच जाती है। मधुमक्खी पालन से भी आय में बढोत्तरी हो रही है। भारत प्रति वर्ष साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के दूध का उत्पादन करता है। इस क्षेत्र में भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है। भारत में प्रति वर्ष उत्पादित गेहूं और चावल का कारोबार भी इससे कम है। डेयरी क्षेत्र का सबसे बड़ा लाभ हमारे छोटे किसानों को है। बायो सीएनजी प्लांट से भी किसानों की आय बढ़ रही है। ऐसे अनेक प्लांट्स बनास डेयरी देशभर में लगाने जा रही है। ये कचरे से कंचन के सरकार के अभियान को मदद करने वाला है। सहकारी आंदोलन आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूत बना सकता है। इसी प्रकार कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बालिकाओं की शिक्षा व महिला स्वावलंबन के अभियान का शुभारंभ प्रयागराज से किया था।
प्रयागराज इस अभियान का भव्य पड़ाव बना था। यहां नरेंद्र मोदी ने महिला सशक्तिकरण व स्वावलंबन का संदेश दिया था। कार्यक्रम में लाखों की संख्या में महिलाओं की भागीदारी थी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से शुरू हुईं परिवर्तन यात्रा निरंतर आगे बढ़ रही है। इस अवधि में महिला सशक्तिकरण की अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम वर्तमान सरकार की महिला कल्याण संबंधी नीति के अनुरूप था। सरकार महिलाओं को कौशल विकास प्रोत्साहन व संसाधन उपलब्ध करा रही है। प्रधानमंत्री ने एक हजार करोड़ रुपए की धनराशि स्वयं सहायता समूहों के खातों में हस्तांतरित की थी। जिससे स्वयं सहायता समूहों की लगभग सोलह लाख महिला सदस्यों को सीधा लाभ मिला। यह हस्तांतरण दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन डीएवाईं एनआरएलएम के अंतर्गत किया गया था। जिसके अनुसार प्रति स्वयं सहायता समूह एक लाख दस हजार रुपए के हिसाब से अस्सी हजार समूहों को समुदाय निवेश निधि सीआईंएफ तथा पन्द्रह हजार रुपए प्रति स्वयं सहायता समूह के हिसाब से साठ हजार समूहों को परिचालन निधि प्राप्त हो रही है। प्रधानमंत्री द्वारा बीस हजार व्यापार सखियों बिजनेस कॉरेस्पांडेंट सखी बीसी सखी के खातों में पहले महीने का चार रुपए रुपये वजीफा भी हस्तांतरित किया गया। बीसी सखियां वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने के दौरान उन्हें छह महीने के लिए यह वजीफा दिया जाता है।
मुख्यमंत्री कन्या सुमंगल योजना के तहत एक लाख से अधिक लाभार्थियों को बीस करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि भी हस्तांतरित की गईं। इस योजना से कन्याओं को उनके जीवन के विभिन्न चरणों में शर्तो के साथ नकद हस्तांतरण मिलता है। प्रति लाभाथा हस्तांतरित की जाने वाली धनराशि पन्द्रह हजार रुपए है। जन्म पर दो हजार रुपए, एक वर्ष होने पर सारे टीके पर एक हजार रुपए, कक्षा प्रथम में प्रवेश लेने पर दो हजार रुपए कक्षा छह में प्रवेश लेने पर दो हजार रुपए,कक्षा नौ में प्रवेश लेने पर तीन हजार रुपए कक्षा दस या बारह उत्तीर्ण होने के बाद किसी डिग्री डिप्लोमा में प्रवेश पर पांच हजार रुपए शामिल हैं। नरेंद्र मोदी करीब दो सौ पूरक पोषण निर्माण इकाइयों की आधारशिला रखी थी। इन इकाइयों का वित्तपोषण स्वयं सहायता समूह कर रहे हैं। इनके निर्माण में प्रति इकाईं लगभग एक करोड़ रुपए का खर्च होंगे। ये इकाइयां राज्य के छह सौ प्रखंडों में एकीवृत बाल विकास योजना के अंतर्गत पूरक पोषण की आपूर्ति करेंगी। योगी सरकार ग्रामीण व शहरी परिवेश से जुड़ी हुईं महिलाओं और बेटियों को एक ओर आत्मनिर्भर बना रही है। उनको सीधे तौर पर आर्थिक सहायता भी उपलब्ध करा रही है। मिशन शक्ति अभियान, कन्या सुमंगला योजना, बीसी सखी, बिजली सखी, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना,स्वयं सहायता समूह, उज्ज्वला योजना समेत दूसरी कईं कल्याणकारी योजनाओं से महिलाओं व बेटियों को सीधे तौर पर लाभ मिल रहा है।
उज्ज्वला योजना के तहत अब तक करीब पौने दो करोड़ परिवारों को नि:शुल्क गैस कनेक्शन, दस लाख से अधिक बेटियों को मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, डेढ़ लाख से अधिक कन्याओं का विवाह साथ ही निराश्रित महिला पेंशन,वृद्धावस्था पेंशन, दिव्यांग पेंशन की राशि को पांच सौ से बढ़ाकर प्रतिमाह एक हजार रुपए करने से पात्र लोगों को संबल मिला है। वस्तुत: योगी आदित्यनाथ सरकार वेंद्र के प्रयासों में सहयोगी की भूमिका का बाखूबी निर्वाह कर रही है। नरेंद्र मोदी ने काशी में बनास काशी डेयरी संकुल की आधारशिला रखी थी। बनास डेयरी से जुड़े लाखों किसानों के खाते में करोड़ों रुपये की राशि ट्रांसफर की गई थी। बनास संकुल सरकार और सहकार की भागिदारिता का उदाहरण है। गोबर धन के माध्यम से एक साथ कई लक्ष्य हासिल हो रहे हैं। इससे गांवों में स्वच्छता को बल मिल रहा है। पशुपालकों को गोबर का भी पैसा मिल रहा है। गोबर से बायो-सीएनजी और बिजली जैसे उत्पाद तैयार हो रहे हैं इस पूरी प्रक्रिया में जो जैविक खाद मिलती है। उससे किसानों को बहुत मदद मिल रही है। नरेंद्र मोदी ने बनासकांठा के दियोदर में छह सौ करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाए गए नये डेयरी परिसर और आलू प्रसंस्करण संयंत्र व दामा में स्थापित जैविक खाद और बायोगैस संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया था।
(उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं….!!)