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Diwali: क्यों की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा…

कार्तिक महीने में दीपों के पर्व दिवाली की तैयारियां जोर शोर से शुरू हो जाती है। इस महीने में कई धार्मिक अनुष्ठान और कार्यक्रम होते हैं। इस महीने में खासतौर पर तुलसी, शालिग्राम और दिवाली पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा और आराधना की जाती है। यह महीना त्योहारों का महीना होता है। मान्यता है कि इस महीने में व्रत, स्नान और दान करने से तमाम तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। कार्तिक माह को बहुत ही पवित्र माना जाता है। कार्तिक माह में पूजा तथा व्रत करने से तीर्थयात्रा के बराबर शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस साल दिवाली 27 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

इस दिन मां लक्ष्मी घर में करती हैं प्रवेश-
मान्यता है कि भगवान राम इसी दिन लंका पर विजय प्राप्त कर और अपने 14 वर्ष का वनवास पूरा करके वापस अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में पूरे राज्य को दीपों से सजाया गया था, तभी से यह त्योहार मनाया जाता है। लोग इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी करते हैं। कहा जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी इस दिन घर में प्रवेश करती हैं। इस दिन धन-संपदा और शांति के लिए लक्ष्मी और गणेश भगवान की विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है।

दिवाली में हर कोई अपने घर की सफाई कर उसे सुंदर देखना चाहता है। ये ही वजह है कि दीयों के इस त्योहार के दिन हर कोई घर की साफ-सफाई के साथ ही खूबसूरती से साज-सज्जा भी करता है। आइए जानते हैं कि दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा आखिर क्यों की जाती है।

कालरात्रि भी कहा जाता है-
भारतीय कालगणना के अनुसार 14 मनुओं का समय बीतने और प्रलय होने के पश्चात् पुनर्निर्माण व नई सृष्टि का आरंभ दीपावली के दिन ही हुआ था। नवारंभ के कारण कार्तिक अमावस्या को कालरात्रि भी कहा कहा जाता है।

उत्तरार्द्ध का आरंभ होता है-
इस दिन सूर्य अपनी सातवीं यानी तुला राशि में प्रवेश करता है और उत्तरार्द्ध का आरंभ होता है, इसीलिए कार्तिक मास की पहली अमावस्या ही नई शुरुआत और नव निर्माण का समय होता है।

कालरात्रि को शत्रु विनाशक माना गया है-
जीविद्यार्णव तंत्र में कालरात्रि को शक्ति रात्रि की संज्ञा दी गई है। कालरात्रि को शत्रु विनाशक माना गया है साथ ही शुभत्व का प्रतीक,सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला भी माना गया है।

मां लक्ष्मी का जन्म दिवस होता है-
धार्मिक कथाओं के अनुसार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को ही समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी का आगमन हुआ था। एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म दिवस होता है। कुछ स्थानों पर इस दिन को देवी लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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