कुछ तो ऐसा करके जाएं
कुछ तो ऐसे काम करें हम, कुछ ऐसा किरदार निभाऍं।
सुकर्मो की साख लिए संग लोगों के दिल में बस जाऍं।।
ईर्ष्या वैर ना रखे किसी से कपट ना छल ना धोखा करना।
खुशी में बेशक जा न सके तो दुःख में सबके साथ निभाऍं।।
दाॅंव पेंच की छड़ी घुमा कर अपनों को ही छलते देखा।
चॅंद दौलत के लोभ में भाई भाई को भी बदलते देखा।।
मूल्य गिरा जब से रिश्तों का एकल जब परिवार हुआ।
मानवता मिट गया जहाॅं से स्वार्थ ही अब आधार हुआ।।
आओ ऐसी परिपाटी को मिल कर देश से सभी मिटाऍं।
अच्छे कर्म करें जग ख़ातिर ज़माने को हम याद रह जाऍं।।
दीन दुखी का बने सहारा दुखियों के दुःख बाॅंट के आऍं।
छोटा सा कर के सहयोग किसी के दुःख में काम तो आऍं।।
बजे तालियाॅं बाद भी मेरे ऐसा कुछ क़िरदार हो अपना।
ताकि ज़िन्दग़ी के बाद भी हम ज़माने को याद रह जाऍं।।
![](https://samarsaleel.com/wp-content/uploads/2023/01/FB_IMG_1672312708344-225x300.jpg)