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इस वजह से मध्य प्रदेश कांग्रेस में फिर सियासी तूफान आने के आसार

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के नए अध्यक्ष और निगम-मंडलों में नियुक्ति को लेकर जारी माथापच्ची के बीच सियासी तूफान खड़ा होने के आसार बनने लगे हैं। इसकी शुरुआत राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इशारों-इशारों में पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमला करके कर दी है। आगामी दिनों में वार-पलटवार की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता।

राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से मुख्यमंत्री कमलनाथ लगातार प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश करते आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें इस पद से मुक्ति का भरोसा दिलाया गया था। उन्होंने फिर पेशकश की, मगर पार्टी हाईकमान ने पद पर बने रहने को कहा। पिछले दो-तीन माह से अध्यक्ष के नामों को लेकर चर्चा चल रही है और उसमें सबसे ऊपर नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है। नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा को लेकर अब-तब की स्थिति बनी हुई है।

राज्य के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया भी लगातार यही कह रहे हैं कि कभी भी नए अध्यक्ष के नाम का ऐलान हो सकता है। वे तमाम प्रमुख नेताओं से चर्चा करने के बाद अपनी रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंप चुके हैं। राजधानी के करीब बैरागढ़ में चल रहे सेवादल के प्रशिक्षण शिविर में दिग्विजय सिंह ने बगैर किसी का नाम लिए, केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का कांग्रेस के ही कुछ लोगों द्वारा समर्थन किए जाने पर सवाल उठाए। साथ ही कहा कि ऐसे लोगों को खोजना होगा, जिनकी आत्मा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विचार प्रवेश कर गया है।

सिंधिया ने धारा 370 हटाए जाने का समर्थन किया था। सिंधिया परिवार का भाजपा और संघ से करीबी नाता रहा है, यह किसी से छुपा नहीं है। उनकी दादी विजयाराजे भाजपा की उपाध्यक्ष रही थीं। वर्तमान में उनकी दो बुआ यशोधरा राजे और वसुंधरा राजे भाजपा में हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो दिग्विजय सिंह ने ‘आत्मा में संघ का विचार प्रवेश कर गया है’ वाला बयान अपनी सोची-समझी रणनीति के तहत दिया है। दरअसल, सिंह राज्य की सियासत में सिंधिया के दखल को रोकना चाहते हैं। अपने बयानों से सिंधिया पर सवाल उठाना उनकी पुरानी सियासी रणनीति का हिस्सा रहा है।

दिग्विजय का बयान पार्टी लाइन के अनुरूप है और सिंधिया के खिलाफ। आगामी दिनों में सिंधिया के समर्थक दिग्विजय के खिलाफ बयान दे सकते हैं, इस संभावना को नकारा नहीं जा सकता। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के भीतर तलवारें खिंच जाएंगी और अध्यक्ष के नाम का ऐलान फिर टल जाएगा।

सिंधिया के एक समर्थक ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, दिग्विजय सिंह ने हमेशा सिंधिया परिवार का विरोध किया है। यह बात अलग है कि वे खुलकर सामने नहीं आते। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है, मगर इस बार वे अपने मिशन में कामयाब नहीं होंगे, क्योंकि पार्टी हाईकमान भी राज्य में कांग्रेस को और मजबूत करना चाहता है।

कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री के तौर पर कमलनाथ जैसा अनुभवी व्यक्तित्व है, तो प्रदेश अध्यक्ष की कमान युवा को सौंपा जाना तय है। एक तरफ जहां नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगनी है तो दूसरी ओर निगम-मंडलों के अध्यक्ष के नामों का फैसला होना है। मुख्यमंत्री कमल नाथ के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय और सिंधिया ही दो ऐसे नेता हैं, जो इसमें हिस्सेदारी मांग रहे हैं। अगर दो नेताओं के बीच विवाद होता है, तब मुख्यमंत्री की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाएगी।

सिंधिया पिछले दिनों कमलनाथ के साथ ग्वालियर से भोपाल गए थे। अब इसी माह वे राज्य के तीन दिवसीय दौरे पर आने वाले हैं। उनका भोपाल में कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में भी कार्यक्रम प्रस्तावित है। इन दो घटनाक्रमों के राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, उसी बीच दिग्विजय सिंह द्वारा अपरोक्ष रूप से हमला, आगामी दिनों के सियासी हलचल का संकेत दे रहा है।

वैसे तो नए प्रदेश अध्यक्ष की कतार में तमाम नेता हैं, मगर उनमें से सबसे बेहतर और सर्व स्वीकार्य नेता की खोज हो रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, सुरेश पचौरी और कांतिलाल भूरिया इसके अलावा वर्तमान सरकार के मंत्री उमंग सिंगार, बाला बच्चन, कमलेश्वर पटेल, सज्जन वर्मा सहित कई और नाम भी दावेदारों की सूची में शामिल हैं।

राजनीति के जानकारों की मानें तो पूर्व मुख्यमंत्री सिंह और सिंधिया के बीच टकराव की स्थिति बनने पर नए चेहरे और आम सहमति वाले नेता पर पार्टी हाईकमान दांव लगा सकता है। सिंह भी यही चाहते हैं। अब वक्त ही बताएगा कि सियासी चौसर पर कांग्रेस के भीतर कौन किसे मात देता है।

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