Breaking News

अस्वभाविक नहीं है आर्थिक सुस्ती

अर्थव्यवस्था में उतार चढ़ाव अस्वभाविक नहीं है। इस समय भी आर्थिक सुस्ती का दौर है। इसके कुछ प्रतिकूल परिणाम भी होते है। इसके बाद भी ऐसा नहीं कि स्थिति पूरी तरह निराशाजनक है। दूसरा पहलू सकारात्मक भी है। ये बात अलग कि आर्थिक सुस्ती से उबरने में अभी समय लगेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था वर्तमान समय में अवसादग्रस्त है।

विकास दर में वर्ष 2019-20 की प्रथम तिमाही से ही परिलक्षित गिरावट सरकार एवं नीति निर्माताओं के लिए चिंता का विषय है। वर्ष2019-20 की प्रथम तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर गिरकर 5.0 प्रतिशत रह गयी जो पिछले वर्ष में 6.8 प्रतिशत तथा 2017-18 में 7.2 प्रतिशत रही थी। 2019-20 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 4.5 तथा तृतीय तिमाही में 4.7 प्रतिशत रही। रिज़र्व बैंक आफ इंडिया और मूडीज रेटिंग ने 2019-20 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।विपक्ष का आरोप है कि भारतीय अर्थव्यवस्था गहन मन्दी की गिरफ्त में है परन्तु यह सही नहीं है।

वर्तमान मे भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर मन्दी एवं अवसाद का माहौल है जिसका प्रमुख कारण बड़े राष्ट्रों के बीच तनाव एवं ट्रेडवार की स्थिति है। इसी कारण आई एम एफ ने भारत की वर्तमान विकास दर पर चिंता व्यक्त अवश्य की परन्तु अगले वर्ष सुधार की उम्मीद भी जतायी। आई एम एफ ने वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान को भी घटाकर 3.6 प्रतिशत से 3.0 कर दिया है। मेरा मानना है कि कोरोना वायरस से उत्पन्न संकट एवं भय तथा अफरा तफरी के माहौल में वैश्विक वृद्धि दर 3.0प्रतिशत से भी कम रह सकती है। विश्व बैंक के एक अनुमान के अनुसार कोरोना संकट से विश्व व्यापार में 215 लाख करोड़ की गिरावट आ सकती है। भारतीय अर्थव्यवस्था में भी 10.5लाख करोड़ रुपये के बैंक कर्जो की वापसी बाधित हो सकती है तथा मैडिसिन, इलेक्ट्रॉनिक, आँटो जैसे क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हो सकते हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख चिंता का विषय विनिर्माण क्षेत्र का दयनीय प्रदर्शन है जिसकी वृद्धि दर 2019-20 की प्रथम तिमाही में मात्र 0.6 प्रतिशत रही और निगम कर में महत्वपूर्ण कटौती, बैंक विलय जैसे कदम उठाने के बाद भी अब तक कोई उल्लेखनीय प्रगति परिलक्षित नहीं हुई है। आँटो सेक्टर,रीयल इस्टेट, पूँजीगत सामान एवं टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र माँग में कमी की समस्या से अब भी ग्रस्त हैं। बेरोजगारी उच्चतम स्तर पर है।

विमुद्रीकरण की विफलता एवं जीएसटी का अतार्किक ढाँचा एवं दरों के साथ साथ प्रभावी क्रियान्वयन की कमी ने छोटे कारोबारियों के लिए समस्याएं ही उत्पन्न की। रोजगार में गिरावट एवं आय में कमी न केवल माँग पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है वरन आँकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में बचत एवं विनियोग दर में भी 2019-20 में महत्वपूर्ण गिरावट आयी है। रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद भी निवेश में वृद्धि लाने में सफलता नहीं मिली है। इसका प्रमुख कारण राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर तनाव की स्थितियों को माना जा सकता है।

उपर्युक्त चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को कृतसंकल्प होकर ऐसे कदम उठाने होंगे जिनसे रोजगार एवं आय में वृद्धि हो और माँग का स्तर बढ़ाया जा सके। प्रत्यक्ष करों में कमी तथा जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने की आवश्यकता है। राजकोषीय अनुशासन पर जोर देने के स्थान पर सरकार को अपने खर्चे में भी महत्वपूर्ण वृद्धि करनी होगी। भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष अवसाद से निपटने की चुनौती अवश्य है परन्तु तस्वीर का एक उजला पक्ष भी है। यूपीए के समय में डबल डिजिट में रही स्फीति दर पिछले पाँच वर्षों से 3 से 4 प्रतिशत तक नियंत्रित रही है। राजकोषीय अनुशासन बनाए रखने में सरकार काफी हद तक सफल रही है यद्यपि 2019-20 में राजकोषीय घाटे बढ़कर 3.8प्रतिशत रहने की बात संशोधित अनुमानों में सामने आई है। सरकार के प्रयासों के फलस्वरूप बैंकों के एनपीए इस वर्ष 7.5 प्रतिशत कम रहेंगे। ईज आफ डूइंग बिजनेस में अप्रत्याशित सुधार आया है तथा 190 राष्ट्रों में भारत की रैंक 63 पहुंच गई है। विदेशी विनिमय भंडार भी देश के पास उच्चतम स्तर पर 458 बिलियन डॉलर के हैं।
रिपोर्ट-डॉ. राकेश कुमार मिश्रा

About Samar Saleel

Check Also

इंडिगो ने चौड़े आकार के 30 ए350-900 विमानों का ऑर्डर दिया, फिलहाल सिर्फ पतले विमान हैं कंपनी के पास

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने चौड़े आकार के 30 ए350-900 विमानों का ऑर्डर ...