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आपदा में अवसर की मिसाल


रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

आत्मनिर्भर यूपी अभियान में औपचारिक रूप से एक अभूतपूर्व अध्याय जुड़ा। सवा करोड़ श्रमिकों कामगारों को रोजगार मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी योगी आदित्यनाथ की इस कार्यशैली से प्रभावित हुए। उन्होंने भावुक होकर उनके पूर्व आश्रम पिता के निधन का प्रसंग याद किया। तब योगी आंख में आंसू लिए अपना दायित्व निर्वाह करते रहे। जानकारी मिलने के बाद भी उन्होंने आपदा प्रबंधन कोर ग्रुप की मीटिंग को पूरा किया। पिता के अंतिम संस्कार में ना जाने का निर्णय लिए। उस समय का एक एक पल प्रदेश के तेईस करोड़ लोगों को समर्पित कर दिया।

कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्रमिक कामगार रोजगार की कार्ययोजना बनाई थी। उन्होंने कोरोना आपदा में अन्य प्रदेशों से वापस आ रहे श्रमिकों कामगारों के कष्ट का अनुभव किया था। इसी में उन्होंने प्रदेश में रहने वाले श्रमिकों गरीबों की लॉक डाउन में होने वाली परेशानी को समझा था। इसलिए उन्होंने लॉक डाउन के पहले दिन कहा था कि कोई भूखा नहीं रहेगा। इसको भी उन्होंने अभियान का रूप दिया था। इस अभियान के अंतर्गत ही पूरे प्रदेश में कम्युनिटी किचेन संचालित किए गए। इनमें पन्द्रह लाख फ़ूड पैकेट बनने लगे, राशन किट वितरित किये जाते रहे, भरण पोषण भत्ता गरीबों के खाते में पहुंचने लगा। इसी के साथ योगी उनको रोजगार देने की योजना भी बना रहे थे। सवा करोड़ लोगों को रोजगार इसी कार्ययोजना का परिणाम है। मोदी ने कहा कि योगी ने यूपी में साठ हजार निगरानी समिति को बना दिया, ताकि लोग जुड़कर काम कर सकें। यूपी सरकार ने लाखों मजदूरों को पैसा दिया है ,महिलाओं के खाते में पैसा भिजवाया है। संकट के समय साहस दिखाने वाले को सफलता मिलती है। योगी आदित्यनाथ ने संकट में साहस दिखाया। उनका शानदार काम आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी।

संकट काल में योगी विचलित नहीं हुए। कोरोना आपदा प्रबंधन के साथ उन्होंने लाखों की संख्या में आ रहे श्रमिकों की सुरक्षित वापसी का कार्य किया। अनेक राज्यों से बड़ी संख्या में यूपी आ रहे श्रमिकों को विपक्ष ने मुद्दा बनाने का प्रयास किया था। उनका अनुमान था कि उत्तर प्रदेश सरकार पर लाखों श्रमिकों की वापसी भारी पड़ेगी। सरकार इस समस्या को संभाल नहीं सकेगी। इस समस्या का दूसरा पहलू कोरोना संक्रमण भी था। निश्चित ही यह जटिल समस्या थी। योगी ने इस समस्या का न्यूनतम समय में समाधान किया। उन्होंने इस श्रमिको को रोजगार देने की कार्ययोजना बनाई, कुछ ही दिनों में इसका क्रियान्वयन भी शुरू हो गया। मनरेगा के तहत साठ लाख श्रमिकों को रोजगार के अवसर मिले हैं,यह देश में सर्वाधिक है। विभिन्न उद्योगों में लगभग चालीस लाख लोगों को रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं। विभागीय कन्वर्जेन्स के माध्यम से बीस लाख श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है।

इसके पहले योगी के कैबिनेट ने श्रमिक कामगार रोजगार आयोग के गठन को मंजूरी प्रदान की थी। प्रदेश के अंदर ही कौशल विकास कर रोजगार के सुलभ अवसर उपलब्ध कराए गए। श्रमिकों को अपने ही जिले में काम मिल रहा है।इसके पहले तत्कालित राहत के लिए श्रमिकों को एक हजार रुपये का भरण पोषण भत्ता,राशन किट,मनरेगा के तहत अधिकाधिक श्रम दिवसों का सृजन और दक्षता के अनुसार औद्योगिक इकाईयों में समायोजन के कदम उठाए गये। मांग के अनुसार संबंधित इकाईयों को दक्ष श्रमिक मुहैया कराएगा। साथ ही इंडस्ट्री की मांग के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोग चलाएगा। प्रशिक्षण का यह अवसर औद्योगिक इकाईयों में अप्ररेंटिसशिप के रूप में भी मिलेगा। केन्द्र व प्रदेश की सभी विकास योजनाओं व कार्यक्रमों के साथ साथ राष्ट्रीय आजीविका मिशन, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना,एक जनपद एक उत्पाद योजना,माटी कला बोर्ड,खादी एवं कुटीर उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण, एमएसएमई,एफपीओ तथा मनरेगा के तहत कामगारों श्रमिकों को जोड़ा जाएगा।

विभिन्न विभागों की निर्माण संस्थाओं एवं निजी औद्योगिक इकाइयों के साथ समन्वय करके अधिक से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन किया जाएगा। आयोग के तहत एकीकृत पोर्टल का भी गठन किया गया है,जिसमें प्रदेश के प्रवासी व निवासी कामगारों श्रमिकों की क्षमता और कौशल के सम्पूर्ण डाटा की इण्ट्री की जाएगी। इस व्यवस्था की लगातार माॅनीटरिंग एवं इसे अद्यतन करते हुए फील्ड स्तर पर डाटा का संग्रहण व इसके समुचित क्रियान्वयन की व्यवस्था बनायी जाएगी। इसके लिए जनपदों में स्थित सेवायोजन कार्यालयों का उपयोग सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि विभिन्न औद्योगिक इकाइयों, सेवा क्षेत्र,निर्माण प्रतिष्ठानों एवं अन्य राज्यों, जहां पर श्रमिकों का योजन हो रहा है, वहां श्रमिकों के पक्ष में न्यूनतम एवं आधारभूत सुविधाएं जैसे आवास, सामाजिक सुरक्षा,बीमा सम्बन्धी उपादानों आदि की व्यवस्था भी आयोग द्वारा सुनिश्चित की जाएगी। अल्प अवधि में कामगारों श्रमिकों की स्किल मैपिंग की गई है। उन्हें उनकी क्षमता व योग्यता के अनुसार निरन्तर रोजगार के अवसर प्रदान किये गए।उत्तर प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकृष्ट किया। इस समय प्रदेश में लेवल वन,टू व थ्री के पांच सौ से अधिक कोविड अस्पताल क्रियाशील हैं। इन अस्पतालों में एक लाख से अधिक बेड उपलब्ध हैं। राज्य में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए पांच लाख से अधिक टेस्ट हो चुके हैं। अब प्रतिदिन लगभग सोलह हजार टेस्ट किए जा रहे हैं। एक दो दिन में यह संख्या बीस हजार तक हो जाएगी। कोविड़ अस्पतालों में आॅक्सीजन व वेण्टीलेटर की उपलब्धता भी है। राज्य में लेवल तीन के डेडीकेटेड अस्पतालों की संख्या पच्चीस है। इन अस्पतालों में गम्भीर रोगों से ग्रसित मरीजों के कोरोना संक्रमित होने पर विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में उपचार किया जाता है। राज्य के सभी जनपदों में वेण्टीलेटर की सुविधा उपलब्ध है।मेडिकल इंफेक्शन से बचाव के प्रबन्ध किये गए है।

इमरजेंसी सेवाओं के साथ ही आवश्यक ऑपरेशन की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। यह सुविधा प्रदेश के सभी जनपदों में उपलब्ध करायी जा रही है। इसके लिए सभी जनपदों के नाॅन कोविड चिकित्सालयों तथा मेडिकल काॅलेजों में ट्रूनेट मशीनें लगायी गयी हैं। इन मशीनों की सहायता से कोरोना जांच की जा सकती है। पर्याप्त मानव संसाधन के प्रशिक्षण की कार्यवाही भी संचालित की जा रही है। कम्युनिटी सर्विलांस व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया। करीब पांच करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की गई है। राज्य में क्वारंटीन सेण्टर्स की क्षमता लगभग पन्द्रह लाख है। क्वारंटीन सेण्टर में पूल टेस्ट तथा व्यक्तिगत टेस्ट द्वारा संक्रमित पाये गये लोगों को डेडीकेटेड कोविड अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। पैंतीस लाख श्रमिक कामगार प्रदेश में पहुंचे है। इनकी स्क्रीनिंग कर उन्हें राशन किट उपलब्ध कराते हुए होम क्वारंटीन के लिए घर भेजा गया। होम क्वारंटीन में इनकी निगरानी के लिए सत्तर हजार निगरानी समितियों का गठन किया गया है। राज्य में साढ़े सोलह सौ से अधिक श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियां आयीं। त्तर प्रदेश परिवहन निगम की बारह हजार से अधिक बसें संचालित की गईं। होम क्वारंटीन से बाहर आने वाले श्रमिकों कामगारों को उनकी स्किल के अनुरूप कार्य उपलब्ध कराया गया। प्रधानमंत्री आर्थिक पैकेज के तहत भी लोगों को लाभान्वित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा दस लाख से अधिक दिव्यांगजन को, करीब पचास लाख वृद्धावस्था पेंशन धारकों को,छब्बीस लाख निराश्रित महिला पेंशन धारकों को घोषित सुविधा का लाभ उपलब्ध कराया जा चुका है। अठारह करोड़ लोगों को पांच बार निशुल्क खाद्यान्न वितरित किया जा चुका है। अब छठीं बार निशुल्क खाद्यान्न वितरण प्रारम्भ हो गया है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूरोप इंग्लैंड फ्रांस,इटली,स्पेन की कुल जनसंख्या उत्तर प्रदेश के बराबर है। लेकिन इन चार देशों में मिलाकर कोरोना से एक लाख तीस हजार लोगों की मौत हो गई है।

लेकिन यूपी में यह संख्या छह सौ है। अमेरिका धनी व विकसित देश है। बहुत संसाधन है। वहां की तैतीस करोड़ आबादी है। अबतक वहां सवा लाख लोगों की मौत हो चुकी है। अगर यूपी में हालात नहीं संभाले जाते तो प्रदेश में पच्चासी हजार लोगों की जान चली जाती। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना संकट में नरेंद्र मोदी ने देश को मंत्र दिया। कामगार और श्रमिकों के लिए जिन योजनाओं को आगे बढ़ाने का मार्गदर्शन दिया। उसी की प्रेरणा से अब रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में जितने भी प्रवासी श्रमिक आए हैं, अठारह साल से कम बच्चों को छोड़कर लगभग तीस लाख मजदूरों की स्किल मैपिंग की गई है इससे इन मजदूरों को काम देने में आसानी हो रही है। स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ की जो सराहना की है,वह तथ्यों पर आधारित है।

 

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