मुंबई: महाराष्ट्र में भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान भारत विरोधी नारे लगाने के आरोपों को किशोर और उसके परिवार ने खारिज किया है। परिवार ने दावा किया है कि किशोर पढ़ने के लिए मदरसा जाता था और उसे क्रिकेट खेलने और मैच देखने में कोई दिलचस्पी नहीं थी।
दरअसल, सिंधुदुर्ग जिले के मालवन में 23 फरवरी को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच के भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप में एक किशोर और उसके माता-पिता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई थी। मामले में पुलिस ने दंपति को गिरफ्तार कर लिया गया था और किशोर को किशोर बोर्ड के सामने पेश किया गया था। इसके बाद परिवार की दुकान और घर को नगर निगम के अधिकारियों ने अवैध बताते हुए ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद किशोर के पिता और कबाड़ व्यापारी के भाई के गोदाम को भी ध्वस्त कर दिया गया और भूस्वामी को नोटिस भी दिया गया।
मैंने भारत विरोधी नारा नहीं लगाया: किशोर
किशोर के परिवार ने आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने उनके बेटे को फंसाने की साजिश रची है। आरोपी किशोर ने बताया कि वह एक मस्जिद में रात की नमाज अदा करने के बाद घर लौट रहा था। रास्ते में एक आदमी ने उसे रोककर नाम पूछा। शुरू में मैंने उसे गलत नाम बताकर टालने की कोशिश की क्योंकि मैं डर गया था। उस युवक ने मुझसे पूछा कि क्या मैंने क्रिकेट मैच देखा है। तो मैंने उससे कहा कि मैं क्रिकेट मैच नहीं देखता क्योंकि मेरे पास समय और क्रिकेट में रुचि नहीं है।
किशोर ने दावा किया कि उस आदमी ने मुझसे पूछा कि वह भारत-पाकिस्तान मैच में किस पक्ष को चुनेगा। इस पर मैंने कहा कि वह भारत को चुनेगा। इस पर वह युवक हंगामा करने लगा और कहने लगा कि मैंने भारत विरोधी नारा लगाया है। उन्होंने मुझे दो बार थप्पड़ मारे। कुछ देर बाद वे लोग मुझे घर ले आए और मेरे घर के बाहर हंगामा करने लगे। उन लोगों ने मेरे माता-पिता से भी हाथापाई की।
मेरा बेटा क्रिकेट नहीं देखता: पिता
किशोर के पिता ने कहा कि उनका बेटा निर्दोष है। उसे क्रिकेट में कोई दिलचस्पी नहीं है और वह मैच भी नहीं देखता। दो लोगों ने जानबूझकर ऐसा किया और यह एक चाल थी। पिता ने कहा कि मेरा बेटा मदरसे में जाता है और उसे छुट्टियां भी नहीं मिलतीं। मैं अपने भाई-बहनों के साथ 20 साल से ज़्यादा समय से मालवन में रह रहा हूं। हम सिर्फ़ अपने परिवार और कबाड़ के कारोबार से जुड़े हैं और किसी विवाद में नहीं पड़ते।