कोरोना महामारी ने अनेक बच्चों को अनाथ बना दिया है। कुछ बच्चे तो इतने छोटे है कि उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके माता पिता कहा गए है। उन्हें विश्वास है माता पिता उन्हें छोड़ कर कहीं दूर नहीं जा सकते जल्दी ही वह लौट कर आएंगे,फिर उन्हें दुलारेंगे,फिर उनके लिए खिलौने लाएंगे। कुछ बच्चे समझदार भी है,वह जानते है कि उनके माता पिता अब कभी नहीं आएंगे।
उनकी कमी इन्हें बेचैन करती है। इस विपदा ने इनके बचपन के उत्साह को छीन लिया है,भविष्य में क्या होगा,इन्हें कुछ नहीं पता। ये खेलना हंसना भूल गए है। ऐसा लगता है की कुछ सोच रहे है। फिर माता पिता के वात्सल्य स्नेह के बिना सो जाते है।
रात में नींद खुलती होगी,फिर माता पिता की कमी खलती होगी,लेकिन अनन्त है विवशता। ऐसे बच्चों से मिलना किसी को भी भाव विह्वल कर सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे बच्चों के पालन पोषण की जिम्मेदारी संभाली है। सरकार अपने स्तर से व्यवस्था कर सकती है।
फिर भी समाज व सामाजिक संस्थाओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। उन्हें ऐसे बच्चों से सतत संवाद सहयोग रखने में सहभागी बनना चाहिए। सामाजिक संस्थाएं इसमें महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षनाथ मंदिर में कोरोना महामारी के चलते अपने माता पिता खो चुके बच्चों से मुलाकात की। इसके अलावा वह बाल आश्रय गृह भी पहुंचे। उन्होंने बेसहारा बच्चों को प्यार दुलार दिया। कहा कि माता पिता का न रहना बेहद दुखदायी है,लेकिन चिंता मत करो,मैं हूं। ऐसे सभी बच्चों का पर्याप्त सुविधाओं के साथ पालन पोषण होगा। बच्चों से मिलते समय योगी आदित्यनाथ स्वयं भी भावुक थे। उन्होंने बच्चों उपहार दिए। नन्हें बच्चों ने तो समझा होगा कि यह उनके मम्मी पापा ने भिजवाए है।
उन्हें क्या पता कि ऐसा अब कभी नहीं होगा। योगी ने इन बच्चों के सिर पर हाँथ रखा। कहा कि सरकार हर पल उनके साथ खड़ी है। यहां योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं बल्कि अभिभावक की तरह दिखाई दे रहे थे। जिनमें करुणा व वात्सल्य का भाव होता है। इसी भूमिका में बच्चों को सबको समझाने का प्रयास किया। पढ़ लिखकर जीवन में कुछ अच्छा और बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। कहा कि तनिक भी घबराने की जरूरत नहीं है,उनके साथ सरकार खड़ी है। मुख्यमंत्री ने बच्चों और उनके साथ आए लीगल गार्डियन से संवाद किया। उनके विषय में जानकारी प्राप्त की।