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नसबंदी के बाद घर जाने के लिए महिला मरीज को नहीं मिली एम्बुलेंस, घंटों इंतजार के बाद रात्रि में ई-रिक्शा से गयी घर

बिधूना। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवार नियोजन योजना के तहत महिला नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था। आपरेशन समाप्त होने के बाद देर रात्रि तक महिला को घर जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं मिली। जिस कारण उसे भीषण सर्दी में अस्पताल के बाहर घंटों इंतजार के बाद ई-रिक्शा बुलाकर घर जाना पड़ा। अस्पताल में एम्बुलेंस न मिलने पर आशा बहू ने नाराजगी व्यक्त की है।

जानकारी के अनुसार मंगलवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बिधूना में परिवार नियोजन योजना के तहत नसबंदी शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें पसुआ गांव की आशा बहू ममता देवी अपने गांव पसुआ की महिला नीतू नसबंदी आपरेशन के लिए ले आयी थी। पंजीकरण के बाद देर शाम तक आपरेशन हुए। जिसके बाद सभी महिलाओं को घर भेजा जाना था।

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शिविर में पसुआ निवासी महिला नीतू भी नसबंदी कराने आयी थी। नसबंदी के बाद घर जाने के लिए नीतू इस भीषण सर्दी में अस्पताल के बाहर घंटों एम्बुलेंस का इंतजार करती रही, पर उसे गांव तक छोड़ने के लिए देर शाम तक एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हुई। जिसके बाद उसके साथ आयीं गांव की आशा बहू ममता देवी को ई-रिक्शा बुलाना पड़ा, जिस पर बैठाकर रात्रि में नीतू को पसुआ गांव ले गयीं। जो कस्बा से करीब 5 किलोमीटर दूर है।

पसुआ निवासी मरीज नीतू ने बताया कि उसका अस्पताल नसबंदी का ऑपरेशन हुआ है। जिसके बाद वह घर जाने के लिए अस्पताल गेट के बाहर बैठी एम्बुलेंस का इंतजार कर रही है पर एंबुलेंस नहीं मिली। जिस का ई-रिक्शा बुलाया है।

वहीं ग्राम पंचायत पसुआ की आशा ममता देवी ने बताया नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि जरूरत पड़ती है तो कहते हैं कि आशा जी आईडी दो, यह कागज दो, वो कागज दो। लेकिन जब इमरजेंसी में एंबुलेंस की जरूरत हमें पड़ी तो सब पीछे हट जाते हो। तब कहते कि एम्बुलेंस पंचर है। अभी तक मेरे मरीज को घर जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली है।

इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक डाक्टर सिद्धार्थ वर्मा ने बताया कि पसुआ के मरीज के ई-रिक्शा से जाने की मुझे जानकारी नहीं है। बताया उन्होंने मरीजों को भिजवाने के लिए चार एम्बुलेंस की व्यवस्था की गयी थी। आपरेशन के बाद मरीजों को करीब 3-4 घंटे अस्पताल में रोककर मरीजों को भिजवाया गया था। बताया कि दूर वाले मरीज पहले भेजे गये थे।

जिस कारण पसुआ की मरीज को इंतजार करना पड़ा होगा। पर वह जल्दबाजी के चक्कर में ई-रिक्शा से चली गयी होगी। उन्होंने कहा कि मरीज को ई-रिक्शा से नहीं जाना चाहिए था। थोड़ा इंतजार कर लेती। एम्बुलेंस आ जाती तो उसी से जाना चाहिए था। बताया कि एक एम्बुलेंस खराब थी।

रिपोर्ट – राहुल तिवारी

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