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पसमांदा मुस्लिम समाज के लम्बे संघर्ष को डैमेज कर रहे सामंती सोच वाले मौलाना

मुरादाबाद। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कहा है कि 16 सालों के लम्बे संघर्ष के बाद जब हमने पसमांदा मुसलमानों की समस्याओं को लेकर के देश में जन आंदोलन खड़ा किया तो जमींदारी सोच रखने वाली राजनैतिक पार्टियों और उन पार्टियों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल सरकारी मौलानाओं व नेताओं के पेट में दर्द हो रहा है। ऐसे लोग पसमांदा आंदोलन को डैमेज करने का काम कर रहे हैं।

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अनीस मंसूरी आज पसमांदा मुस्लिम समाज द्वारा आयोजित पसमांदा मुस्लिम समाज सम्मेलन रहमत पब्लिक स्कूल, जामा मस्जिद चौराहा मुरादाबाद में सम्बोधित कर रहे थे। अनीस मंसूरी ने कहा की जब हमने पिछले 16 वर्षो के लम्बे संघर्ष के बाद देश व प्रदेश में पसमांदा मिशन को 85% पसमांदा मुसलमानों तक पहुँचाने का काम किया और उस के लिए माहौल बनाया तो तथाकथित संगठन और उनके स्वयंभु नेता अपने आपको पसमांदा हितैषी बनकर पसमांदा मुसलमानों को गुमराह करने के साथ रोज़ चुनावी मौसम में नाना प्रकार के संगठन बना रहे हैं, ऐसी लोगों से सावधान रहें जो समाज को गुमराह करने का काम कर रहे हैं।

पसमांदा मुस्लिम समाज के लम्बे संघर्ष को डैमेज कर रहे
सामंती सोच वाले मौलाना

अनीस मंसूरी ने कहा कि जब पसमांदा मुसलमान अपना हक़ पाने के क़रीब होते हैं तो पसमांदा दुश्मन सोच के लोग इस्लाम की दुहाई देकर हमारे आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा की जब पंडित जवाहर लाल नेहरू की सरकार संविधान सभा में आरक्षण को ख़त्म करने की बात कर रहे थे तो बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर ने दलितों के आरक्षण ख़त्म करने का विरोध किया था। उस वक़्त सरदार वल्लभ भाई पटेल ने पिछड़ों के आरक्षण खत्म करने का विरोध किया लेकिन संविधान सभा में सामंतवादी विचारधारा के मुसलमानों ने दलित मुसलमानों और पिछड़े मुसलमानों के आरक्षण पर खामोश क्यों थे? खामोश इस लिए थे कि कहीं पसमांदा मुसलमानों को भागेदारी मिलने लगी तो हमारी गुलामी कौन करेगा? यही वजह है कि 74 सालों से पसमांदा मुसलमान दलित आरक्षण से महरूम है।

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इन 74 सालों में सामंती सोच के किसी मौलाना या तथाकथित सेक्युलर राजनैतिक दलों ने यह प्रतिबंध हटाने की दिशा में कोई प्रयास करना तो दूर इस पर बात तक नहीं की आज जब इस आंदोलन को अनीस मंसूरी ने प्रधानमंत्री से लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों और देश भर में पहुंचा दी तो ऐसी सामंतवादी सोच के लोग इस आंदोलन को यह कहकर डैमेज कर रहे हैं कि इस्लाम में कोई पसमांदा नहीं होता है सभी लोग बराबर हैं। अनीस मंसूरी ने कहा कि इस बात को सिर्फ हम ही नहीं बल्कि मुसलमानों की कुल आबादी के 85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान भी मानते हैं।

अनीस मंसूरी ने कहा कि हम पसमांदा मुसलमानों की बदहाली को लेकर समाज में व्याप्त भेदभाव पूर्ण नीति और दुर्व्यवस्था के खिलाफ जंग लड़ रहे है। हमें ख़ुशी है कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर सभी राजनैतिक पार्टियों और पूरे देश में इसकी चर्चा हो रही है। अनीस मंसूरी ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब हमारे इस आंदोलन को कामयाबी हासिल होगी।

अनीस मंसूरी ने कहा कि मुसलमानों की कुल आबादी का 85 प्रतिशत पसमांदा मुसलमान हैं, केंद्र और राज्य की सरकारों ने भी इनका शोषण किया है, सरकारों की अनदेखी के कारण इनके पुश्तैनी कारोबार समाप्त हो गये हैं। आज पसमांदा मुसलमान भुखमरी के शिकार हैं, इनकी कोई सुध लेने वाला नहीं है। सरकारों के पास इन पसमांदा मुसलमानों के विकास के लिये कोई ठोस कार्ययोजना नहीं है।

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इस अवसर पर फिरासत हुसैन गामा, प्रदेश अध्यक्ष घोसी महा सभा, अनवार अब्बासी, महासचिव, अब्बासी वेलफेयर सोसाइटी उत्तर प्रदेश, मोहम्मद तालिब अंसारी, मण्डल अध्यक्ष मोमिन अंसार सभा, शाकिर अली राईनी अध्यक्ष मज़दूर सभा, साजिद मंसूरी महासचिव, पीतल बस्ती दस्तकार एसोसिएशन, डॉक्टर हसन सलमानी पूर्व पार्षद, जमशेद कुरैशी एडवोकेट, ज़हूर मालिक,तस्लीम पहलवान (बंजारा) फहीम मंसूरी, अध्यक्ष, ज़ैनब वेलफेयर, क़ारी ज़ाकिर अंसारी, नाज़िम मुनीर, महबूब आलम अंसारी, अशरफ पहलवान, सरपंच घोसी महासभा, अरहम अली अंसारी, अनवर वारसी सैफी, शकील मंसूरी चाँदपुर, शहवेज़ मंसूरी, मुदस्सिर इस्लाम, शोएब इदरीस सैफी, ज़फर अली, इक़बाल मुरादाबादी, रोबिन मंसूरी, फैज़ान मंसूरी, सलमान मंसूरी, शाहरुख़ मंसूरी, आशु मंसूरी, ज़ुहैब मंसूरी, मुनीर आलम मंसूरी सहित जनपद मुरादाबाद के अलावा बिजनौर, अमरोहा, रामपुर, संभल के अतरिक्त कई जनपदों से लोग उपस्थित थे।

रिपोर्ट-दया शंकर चौधरी

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