• 10 अगस्त से चलेगा एमडीए/आईडीए कार्यक्रम, घर घर खिलाई जायेगी दवा
• सुनिश्चित हो कि आईडीए के दौरान, कोई भी लाभार्थी दवा से वंचित न हो
• कानपुर नगर सहित सूबे के 27 जनपदों में चलेगा कार्यक्रम
कानपुर नगर। फाइलेरिया बीमारी तो पुरानी है, लेकिन इसको नियंत्रित और खत्म करने के तरीके नए हैं। आज हम नए संक्रमण को फैलने से रोकने में समर्थ हैं। हमें मिलजुल कर इस बीमारी से बचाव के तरीकों को अपनाना है, क्योंकि आज हमारे पास संसाधन है, दवायें है, मरीज की देखभाल से लेकर देखभाल करने वालों को समुदाय का सहयोग है, जिससे कि फाइलेरिया से बचाव और इसके संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव कार्य किये जा सके। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आलोक रंजन का।
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उन्होंने बताया की आगामी 10 अगस्त से कानपुर नगर सहित सूबे के 27 जनपदों में मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। जिसके लिये मंगलवार को राज्य स्तरीय वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण में बताया गया कि इस अभियान में सभी वर्गों के लाभार्थियों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने के लिए एमडीए जनपदों में डीईसी एवं अल्बंडाज़ोल एवं आईडीए जनपदों में डीईसी, अल्बंडाज़ोल तथा आईवरमेक्टिन की निर्धारित खुराक स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने मुफ्त खिलाई जाएगी एवं किसी भी स्थिति में, दवा का वितरण नहीं किया जायेगा।
2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को ये दवाएं नहीं खिलाई जाएगी। इस दवा का सेवन खाली पेट नहीं करना है । एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल खिलाई जाएगी। दवा खाने से बचने के लिए बहाने बिल्कुल भी न करें, जैसे- अभी पान खाए हैं, अभी सर्दी-खांसी है, बाद में खा लेंगे आदि। आज का यही बहाना आपको जीवनभर के लिए मुसीबत में डाल सकता है।
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संचारी रोगो के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ आरपी मिश्रा ने बताया की इस कार्यशाला में बताया गया कि प्रदेश सरकार वेक्टर बोर्न डिज़ीजेज़ जैसे फाइलेरिया, कालाजार रोग आदि के उन्मूलन के लिए अत्यंत संवेदनशील है और इसी प्रतिबद्धता के फलस्वरूप, उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के 27 जनपदों में 10 अगस्त 2023 से 28 अगस्त 2023 तक मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए/आईडीए) कार्यक्रम कराया जाना सुनिश्चित किया गया है।
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण में बताया गया है की रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। सामान्य लोगों को इन दवाओं के खाने से किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं होते हैं। और अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के कृमि मौजूद हैं, दवा खाने के बाद से ऐसे लक्षण उत्पन्न होते हैं । उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में जिला स्तर से ब्लॉक स्तर तक अथक प्रयास किये जायेंगे कि कोई भी लाभार्थी दवा खाने से छूट न जाये।
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इस प्रशिक्षण में विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य एनटीडी समन्वयक डॉ शोएब ने बताया कि फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है। यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल के प्रतिनिधि ध्रुव सिंह ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल मोबिलाइजेशन से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
इसके लिए पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली को और अधिक मज़बूत होना आवश्यक है। सीफार की प्रतिनिधि रंजना द्विवेदी ने कहा कि इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए मीडिया की भूमिका बहुत सशक्त है क्योंकि समुदाय में प्रचार-प्रसार के माध्यम से जागरूकता अत्यंत शीघ्रता से फैलती है। साथ ही कानपुर जिले में फाईलेरिया के प्रति जागरूकता फैलाने में फाइलेरिया नेटवर्क सदस्य भी अहम भूमिका निभा रहें है।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर