बिहार में रहते हैं तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी है. अगर आपके घर में कोई बीमार है या किसी का इलाज चल रहा है तो आपको काफी परेशानी का कारण बन सकता है. पूरे बिहार में बुधवार 22 जनवरी 2020 से अगले तीन दिन तक दवा की कोई भी दवा की दुकान नहीं खुलेगी.
मंगलवार को बिहार केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन (बीसीडीए) और स्वास्थ्य विभाग के बीच वार्ता का प्रयास विफल हो गई जिस वजह से बिहार की दवा की दुकानों को तीन दिवसीय बंद रखने का फैसला लिया गया है. संघ ने विभाग से पहले अपनी मांगों को मानने की घोषणा करने की बात कही. इस हड़ताल का असर आपातकालीन सेवाओं पर भी देखने को मिल सकता है.
दरअसल, दवा दुकानदार फार्मासिस्ट की नियुक्ति में छूट चाहते हैं. जबकि, सरकार ने हर दवा दुकान के लिए एक फार्मासिस्ट की नियुक्ति अनिवार्य कर दी है. इसे लेकर एसोसिएशन ने 22 से 24 जनवरी तक दवा दुकानें बंद रखने का निर्णय लिया है. राज्य में सात हजार फार्मासिस्ट हैं. जबकि, 40 हजार से अधिक दवा दुकानें हैं.
संघ के अध्यक्ष परसन कुमार सिन्हा ने कहा कि विभाग के पदाधिकारियों ने उन्हें वार्ता के लिए बुलाया था, लेकिन संघ के सदस्यों ने सर्वसम्मति से वार्ता के लिए इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि कोई ऐसी मांग नहीं है, जिस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार नहीं किया जा सके. उन्होंने इस बंद से अस्पतालों की दवा दुकानों और इमरजेंसी दवाओं की आपूर्ति को फिलहाल मुक्त रखा गया है.
संघ ने विभाग को चेतावनी दी कि अगर दवा दुकानदारों के साथ किसी प्रकार की जोर-जबरदस्ती की गई अथवा अनावश्यक दबाव बनाने का प्रयास किया गया तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन भी हो सकती है. संघ की प्रमुख मांगों में फार्मासिस्ट की समस्या के समाधान होने तक पूर्व की व्यवस्था लागू रहने देने, दवा दुकानदारों का लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई पर रोक, दवा दुकानों की निरीक्षण में एकरूपता और पारदर्शिता रहने, विभागीय निरीक्षण के दौरान उत्पीड़न पर रोक आदि शामिल है.