सर्वोच्च न्यायालय ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई को कथित यौन उत्पीड़न मामले में फंसाने की साजिश की जांच के लिए स्वत: संज्ञान के आधार पर शुरू की गई जांच प्रक्रिया बंद कर दी है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि पूर्व CJI रंजन गोगोई के खिलाफ एक षड्यंत्र की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की साजिश को न्यायमूर्ति गोगोई के फैसलों से जोड़ा जा सकता है, जिसमें राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (NRC) पर उनके विचार भी शामिल हैं।
शीर्ष अदालत का यह फैसला पूर्व जस्टिस एके पटनायक की रिपोर्ट पर आधारित है, जिन्हें पूर्व CJI गोगोई के खिलाफ आरोपों में एक बड़ी साजिश की जांच करने का काम सौंपा गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति पटनायक की रिपोर्ट में पूर्व मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ साजिश को स्वीकार किया गया है और इसे खारिज नहीं किया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले को दो साल गुजर चुके हैं और गोगोई को फंसाने की साजिश की जांच में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड हासिल करने की संभावना बहुत ही कम रह गई है। दरअसल, शीर्ष अदालत के वकील उत्सव बैंस ने पूर्व CJI रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोपों के पीछे साजिश होने का दावा किया था।
बता दें कि वर्ष 2019 में एक महिला ने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का इल्जाम लगाया था। इस मामले में शीर्ष अदालत ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच कराने का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि आरोप बेहद गंभीर हैं। हमें वास्तविकता का पता लगाना होगा। यदि हमने हमारी आंखें बंद कर ली तो देश का विश्वास उठ जाएगा। इसके बाद न्यायमूर्ति पटनायक को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।