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एफपीआई ने जुलाई के पहले सप्ताह में 7962 करोड़ रुपये का निवेश किया, अब बजट पर निवेशकों की नजर

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने जुलाई के पहले सप्ताह में भारतीय शेयर बाजार में 7,962 करोड़ रुपये का निवेश किया। आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय बाजारों में एफपीआई की ओर से कुल निवेश भी इस साल एक लाख करोड़ रुपये को पार कर गया। एनएसडीएल के अनुसार यह आंकड़ा 103,934 करोड़ रुपये है। अब बाजार में आगे के रुख के लिए निवेशकों की नजर 23 जुलाई को आने वाले पूर्ण बजट पर है। संसद का बजट सत्र 22 जुलाई, 2024 से 12 अगस्त, 2024 तक चलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लगातार सातवीं बार बजट पेश करेंगी।

इंडोनेशिया और मलेशिया में भी एफपीआई का मजबूत प्रवाह
दुनिया के अन्य उभरते बाजारों में भी इस महीने एफपीआई का अच्छा खासा प्रवाह हुआ। इंडोनेशिया को 127 मिलियन डॉलर का एफपीआई निवेश मिला, मलेशिया को 81 मिलियन डॉलर, फिलीपींस को केवल 5 मिलियन डॉलर का प्रवाह प्राप्त हुआ और दक्षिण कोरिया को जुलाई के पहले सप्ताह में 927 मिलियन डॉलर का रिकॉर्ड निवेश मिला। हालांकि, थाईलैंड और वियतनाम के इक्विटी बाजारों में क्रमशः 69 मिलियन डॉलर और 68 मिलियन डॉलर का बहिर्वाह देखा गया।

विनिर्माण क्षेत्र के लिए मजबूत सरकारी समर्थन के प्रति बाजार आशावादी
बाजार आगामी आम बजट में अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र के लिए मजबूत सरकारी समर्थन के प्रति आशावादी बना रहा। आईटी सेवाओं के शेयरों में भी FY25 की पहली तिमाही के आंकड़ोें के पहले मजबूती दिख रही है। कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि एफपीआई प्रवाह में उतार-चढ़ाव बने रहने की उम्मीद है। इससे पहले जून में एफपीआई दो महीने की बिकवाली के बाद भारतीय बाजारों में शुद्ध खरीदार बन गए थे। चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद महीने की शुरुआत में बिकवाली के बाद जून में एफपीआई ने भारतीय इक्विटी में 26,565 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।

जुलाई में आने वाले पूर्ण बजट पर निवेशकों की नजर
इससे पहले मई में एफपीआई ने शेयर बाजार से 25,586 करोड़ रुपये की निकासी की थी, जबकि अप्रैल में एफपीआई ने 8,671 करोड़ रुपये की निकासी की थी। बिकवाली के इस ट्रेंड ने भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बनाया। लेकिन अब, एफपीआई निवेश में वृद्धि भारत की बाजार क्षमता और आर्थिक दृष्टिकोण में निवेशकों के नए विश्वास की ओर इशारा करती है। निवेशक केंद्र सरकार की ओर से इसी महीने पेश किए जाने वाले पूर्ण बजट पर नजर बनाए हुए हैं। आगे बाजार की चाल बहुत हद तक बजट में सरकार की घोषणाओं से ही तय होगी।

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