Breaking News

गांधी जी की फिल्में एक हज़ार वर्ष के लिए की जाएगी सुरक्षित

गांधी फ़िल्म फाउंडेशन द्वारा पीआयक्यूएल टेक्नोलॉजी नार्वे के सहयोग से गांधी जी के जीवन पर आधारित फिल्मों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए आधुनिक तकनीक की सहायता से प्रिजर्व किया जाएगा। पिछले वर्ष गांधी फ़िल्म फाउंडेशन और पीआयक्यूएल टेक्नोलॉजी नार्वे द्वारा इस संबंध में आधिकारिक घोषणा की गयी थी।

गांधी जयंती के अवसर पर मणि भवन स्थित गांधी फ़िल्म फाउंडेशन के कार्यालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में पीआयक्यूएल टेक्नोलॉजी नार्वे के रमेश बजाज के द्वारा नितिन पोद्दार, चेयरमैन गांधी फ़िल्म फाउंडेशन को प्रिजर्व करके दो डॉक्यूमेंटरी फ़िल्में आधिकारिक तौर पर सुपुर्द की गयी। इस अवसर पर उज्ज्वल निरगुडकर ट्रस्टी, गांधी फ़िल्म फाउंडेशन, सुभाष जयकर ट्रस्टी, गांधी फ़िल्म फाउंडेशन के साथ ही अन्य प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे। इस आधुनिक टेक्नोलॉजी के द्वारा फ़िल्में एक हज़ार वर्ष से भी अधिक समय तक सुरक्षित रहेगी। फ़िल्मों के प्रिंट की एक और प्रति नॉर्वे में पीआयक्यूएल के आर्कटिक वर्ल्ड आर्काइव (एडबल्यूए) में उप-शून्य तापमान पर संग्रहित की जाएगी। उज्ज्वल निरगुडकर ने इस योजना की शुरुआत की और सुभाष जयकर ने गांधी जी जीवन पर आधारित दो फिल्मों का संरक्षित करने के लिए चयन किया था रवीश मेहरा, सीईओ, पीआयक्यूएल, इंडिया ने नॉर्वे के साथ इस योजना को कोऑर्डिनेट किया।

गांधीजी के जीवन से संबंधित दो फिल्मों को सबसे पहले संरक्षित किया गया हैं इसमें इसमें पहली 14 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म गोलमेज सम्मेलन, लंदन हैं जिसमें लंदन में (1930-1932) गोलमेज सम्मेलन के साथ ही गांधी जी के स्विट्जरलैंड और इटली की यात्राओं के बारे में हैं दूसरी फ़िल्म ११ मिनट की दांडी मार्च हैं जो नौखाली, गुजरात में 12 मार्च 1930 में आयोजित नमक आंदोलन के बारे में हैं। नितिन पोद्दार, अध्यक्ष गांधी फिल्म्स फाउंडेशन, ने कहा कि गांधीजी की फिल्मों में उनकी बहुमूल्य शिक्षाएं हैं जिन्हें हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने की आवश्यकता है और यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो मुझे लगता है कि हम अपने देश के प्रति अपने कर्तव्य में असफल होंगे।

इस अवसर पर रूने बजरकेस्ट्रैंड प्रबंध निदेशक, पीआयक्यूएल, नॉर्वे का कहना है कि “फिल्मो के द्वारा भविष्य के लिए सांस्कृतिक विरासत के लिए महात्मा गांधी के इस प्रतिष्ठित ऑडियो-विजुअल को संरक्षित करने में प्रसन्नता हो रही है”। उज्ज्वल निरगुडकर ट्रस्टी, गांधी फ़िल्म फाउंडेशन ने कहा कि लंबी अवधि के संरक्षण के लिए पीआयक्यूएल की अनूठी तकनीक द्वारा स्कैन की गई 35 मिमी फिल्मों के डिजिटल ऑडियो-विजुअल डेटा को संरक्षित करने का भारत का यह पहला ऐसा प्रयास है। हम भविष्य में गांधी जी से जुड़ी अन्य फ़िल्में भी इसी तकनीक से संरक्षित की जाएँगी।-अनिल बेदाग

About Samar Saleel

Check Also

ब्रजभाषा फिल्मों में एक्शन हीरो कृष्णा लाल यादव का जलवा, फर्स्ट लुक आउट

मुंबई। ब्रजभाषा फिल्मों में इन दिनों एक्शन हीरो कृष्णा लाल यादव (Krishna Lal Yadav) के ...