गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गोरक्षनगरी से काशी तक सी प्लेन चलाने की घोषणा करने के साथ ही इसकी संभावनाओं पर मंथन शुरू हो गया है। रामगढ़ताल में सी प्लेन उतारने की तैयारी है और इसके लिए जो मानक तय हैं, उसपर रामगढ़ताल पूरी तरह से खरा उतरता है। ताल की लंबाई, चौड़ाई और गहराई मानक के अनुरूप है। अधिकारियों का कहना है कि ताल में सीप्लेन उतारने में कोई समस्या नहीं आएगी। गोरखपुर से वाराणसी के बीच 162 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक व्यक्ति को करीब पांच हजार रुपये खर्च करने पड़ सकते हैं। यह दूरी तय करने में करीब 40 से 50 मिनट लगेंगे।
रामगढ़ताल में संभावनाओं को लेकर पहले ही तैयार की जा चुकी है रिपोर्ट
केंद्र सरकार ने पूरे देश में 100 सीप्लेन चलाने की घोषणा की है। पहला सी प्लेन गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट से केवडिया (एकता की मूर्ति) तक संचालित किया जा रहा है। स्पाइसजेट को इसकी जिम्मेदारी दी गई है।
इसी तरह गोरखपुर से वाराणसी के बीच भी सी प्लेन का संचालन तय हो चुका है। जल्द ही इसको लेकर तैयारियां शुरू की जा सकती हैं। जिस सी प्लेन का संचालन किया जा रहा है, उसमें 12 लोग एक बार में बैठ सकते हैं। ‘आटर 300’ श्रेणी के इस सी प्लेन का निर्माण जापान में हुआ है।
सीप्लेन संचालन के लिए यह है मानक
सी प्लेन उड़ने एवं उतरने के लिए पानी में ही एक हवाईअड्डा बनाना होगा। इसकी लंबाई करीब 1160 मीटर जबकि चौड़ाई 120 मीटर होनी चाहिए। हवाईअड्डा के क्षेत्र में पानी की गहराई कम से कम 1.8 मीटर होनी चाहिए। शहर के किनारे भी विकास करना होगा। किनारे की ओर करीब 1.8 एकड़ भूखंड जरूरी है। यहां टर्मिनल आदि का निर्माण होगा। ताल में होने वाली अन्य गतिविधियों के लिए चिह्नित स्थान व हवाईअड्डा के बीच पर्याप्त दूरी होनी चाहिए। हवाईअड्डा ऐसी जगह बनाया जाएगा जहां प्रवासी पक्षियों की गतिविधियां न हों।
रिपोर्ट-रंजीत जायसवल