लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह ने गन्ना किसानों के लिए प्रदेश सरकार पर गन्ना भुगतान न किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि गन्ना मूल्य भुगतान कराने के वादे का क्या हुआ? चीनी मिलों पर किसानों का 10 हजार करोड़ से ऊपर गन्ना मूल्य बकाया है। सरकार पैकेज देकर मिल मालिकों की थैलियां भरने में लगी हैं। किसानों को न तो बकाया मूल्य का भुगतान कराया और न ही विलंब से भुगतान पर ब्याज दिलाया।
सिंह ने कहां है कि केंद्र प्रदेश सरकार गरीबों के लिए नहीं बल्कि केवल अमीर लोगों के लिए काम कर रही है गन्ना किसान के परिवार दिन रात मेहनत करते हैं मगर प्रदेश सरकार भुगतान का भी जिम्मा नहीं लेती। पिछली सपा, बसपा सरकार ने भी गन्ना किसानों के लिए कुछ नहीं किया।
उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री के क्षेत्र में ही किसानों का 275 करोड़ रुपए गन्ना का भुगतान बकाया बताया है। सिंह ने आगे कहा है कि मिलों में करोड़ों रुपये का बकाया” गन्ना समर्थन मूल्य तो बढ़ाया नहीं गया, ऊपर से मिलों में करोड़ों रुपये का बकाया हो गया है. अयोध्या में मसौधा और रौजागांव चीनी मिलों पर किसानों का 50.38 करोड़ रुपये बकाया है.
उन्होंने कहा कि गोण्डा की बजाज चीनी मिल पर किसानों का पिछले वर्ष का 146 करोड़ रुपये बकाया है. प्रदेश में अभी भी आठ हजार करोड़ रूपये से ज्यादा गन्ना किसानों का मिलों पर बकाया है. 14 दिनों में बकाया भुगतान ब्याज समेत देने का दावा करने वाली बीजेपी सरकार को भुगतान करने में क्यों देरी हो रही है, इसका जवाब देना चाहिए.एक फरवरी को बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकार को किसानों की हितैषी बताया और कृषि संबंधित तमाम घोषणाएं की लेकिन गन्ना किसानों को इस बजट से निराशा हाथ लगी है।
उन्हें उम्मीद थी कि सरकार की नीति और नियत दोनों स्पष्ट हो जाएगी परंतु इस बजट में सरकार कुछ रियायतें न सही मगर कम से कम उनके बकाए के भुगतान का कोई रास्ता नहीं निकाल पाई सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश के गन्ना किसानों का इस वक्त चीनी मिलों पर 15,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा बकाया है। सरकार के लाख दावों के बाद भी गन्ना किसानों को राहत नहीं मिल पा रही है।
अपनी उपज का भुगतान उनको समय से नहीं मिल पा रहा है। जिससे किसान आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं है। जिले की अलग-अलग चीनी मिलों पर अब भी गन्ना किसानों का 97 करोड़ रुपये बकाया है। सुनील सिंह ने आगे कहा है कि किसानों के लिए पार्टियों के घोषणा पत्रों में जो कुछ लिखा जाता है कभी ना पूरा होने वाले वादे किए जाते हैं गन्ना किसानों के भुगतान के लिए सरकार के पास में ना तो नियत है और ना ही नीति।