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राज्यपाल ने किया महिलाओं को जागरूक

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल समय समय पर विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती है। वह सुपोषण अभियान में भी शामिल होकर इस प्रकार का सन्देश देती है। उनका कहना है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग नहीं रहती है। उनके मन में एक संकोच भी रहता है। इस प्रवत्ति को बदलना आवश्यक है। महिला स्वास्थ्य से संबंधित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मेनोपॉज प्राकृतिक तौर पर महिलाओं का शारीरिक बदलाव है।

किशोर अवस्था में एक बालिका वयस्क होकर माँ बनने की जिस क्षमता को प्राप्त करती है,बढ़ती उम्र में उसी क्षमता का प्राकृतिक तौर पर समाप्त होना ही मेनोपॉज है। मेनोपॉज के दौरान महिलाएं अनेक शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरती हैं। अत्यधिक रक्तस्राव, हार्मोन के बदलाव से कमजोरी,थकान, अनिद्रा,चिड़चिड़ापन जैसी कई समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं। महिलाएं संकोचवश सामाजिक स्तर पर अपनी इन समस्याओं की चर्चा भी नहीं करती हैं। आनंदीबेन पटेल ने इण्डियन मेनोपॉज सोसाइटी,वाराणसी के ‘The Joy of Aging- Mind, Body and Spirit’  विषयक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के उद्घाटन समाराह को राजभवन से आनलाइन सम्बोधित किया।

उन्होंने कहा कि वैसे तो यह प्रक्रिया महिलाओं की बढ़ती उम्र में होती है,परन्तु आजकल की व्यस्त जीवनचर्या और खानपान की वजह से कम उम्र की महिलाओं में मेनोपॉज हो जाता है। यह एक समस्या है। महिला मेनोपॉज से पूर्व अपने जीवन के चालीस पैंतालीस वर्ष गुजार चुकी होती है,शेष जीवन उसे हार्मोनल परिवर्तन के बाद किस तरह से गुजारना है, इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। क्योंकि अधिकतर सामाजिक स्तर पर मेनोपॉज को उपेक्षित विषय समझा जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिये मेनोपॉज का समय और भी दुष्कर है,जहां चिकित्सीय परामर्श के अभाव में बहुत सी ग्रामीण महिलाएं इस दौर से गुजरते समय घातक बीमारियों और संक्रमण से ग्रस्त हो जाती हैं और उन्हें समुचित चिकित्सा सुविधा भी प्राप्त नहीं हो पाती है।

मेनोपॉज के बारे कालेज की छात्राओं को भी बताने की अवश्यकता है,इससे वे अपने परिवार की चालीस वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं का मार्गदर्शन कर सकेंगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मेनोपॉज का एक चैप्टर होना चाहिए और इसकी चर्चा विश्वविद्यालयों एवं कालेजों में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में चल रहे स्वयं सहायता समूह में लाखों की संख्या में महिलाएं काम कर रही हैं,उसमें अधिकतर महिलाएं चालीस से साठ वर्ष की हैं, चिकित्सक उन्हें जागरूक करने का कार्य करें। महिलाओं को अपने स्वास्थ्य का ध्यान स्वयं रखना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि महिलाएं बीमारी को कभी भी न छिपाएं और चिकित्सक को अपनी बीमारी के बारे में पूरी जानकारी दें।

आनंदीबेन पटेल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को मेनोपॉज के समय अपनी देखभाल, खानपान और आवश्यकता होने पर चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए जागरूक किया जाना बेहद जरूरी है। महिलाएं स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर काफी हद तक मेनोपॉज के गम्भीर लक्षणों से बच सकती हैं। संतुलित आहार,नियमित व्यायाम एवं भावनात्मक सुधार से भी समस्याओं को कम किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि संस्था समाज की बुजुर्ग महिलाओं की सेहत को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। चिकित्सक अपनी सेवाएं ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं तक भी पहुंचाये, क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य की देखभाल और उचित पोषण आदि की जानकारी की बहुत आवश्यकता है।

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