सुन लो!
वो जो खुद को रियासत का राजा समझता है।
नावाक़िफ़ है लेकिन वो भी साज़िशों का हिस्सा है।।अकड़ उसकी औकात से बढ गयी हो भले लेकिन।
है और कुछ नहीं फक़त तलवे चाटने का किस्सा है।।औरों की बर्बादी की उसकी जो ख़्वाहिश है।
समझता नहीं बचपना है, बेवकुफाना आज़माइश है।।खुदा जब अपने नेक बंदों को आज़माता है।
उसके रोने पर कोई हँसे तो ख़ुदा भी मुस्कुराता है।।जिसे तुम अपनी ताकत समझ रहे थे तो सुन लो।
ख़ुदा ही ज़मीं पर भेजता है, निवाले भी वही जुटाता है।।अमित कु अम्बष्ट “आमिली”
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