सुन लो! वो जो खुद को रियासत का राजा समझता है। नावाक़िफ़ है लेकिन वो भी साज़िशों का हिस्सा है।। अकड़ उसकी औकात से बढ गयी हो भले लेकिन। है और कुछ नहीं फक़त तलवे चाटने का किस्सा है।। औरों की बर्बादी की उसकी जो ख़्वाहिश है। समझता नहीं बचपना ...
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