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एटलस साइकिल्स का अधिग्रहण कर सकती है हीरो साइकिल्स

हीरो साइकिल्स वित्तीय संकट से जूझ रही एटलस साइकिल्स का अधिग्रहण कर सकती है. एटलस साइकिल्स देश की सबसे पुरानी साइकिल कंपनियों में है. लेकिन फंड की कमी के कारण उसने हाल ही में अपनी अंतिम मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बंद कर दी थी. लेकिन जल्दी ही कंपनी के दिन बदल सकते हैं. मुंजाल परिवार की हीरो साइकिल्स ने एटलस साइकिल्स को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. देश की सबसे बड़ी साइकिल कंपनी हीरो साइकिल्स के चेयरमैन पंकज मुंजाल ने एटलस साइकिल्स के प्रमोटरों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. हीरो साइकिल्स की भारतीय साइकिल बाजार में 43 फीसदी हिस्सेदारी है.

हीरो जीरो नेट-डेट कंपनी है जिसके पास 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का कैश रिजर्व है. अगर कोई अपना ब्रांड बेचना चाहता है तो हम उसके लिए तैयार हैं. हमें ब्रांड्स खरीदने की जरूरत है. एटलस के बारे में उन्होंने कहा, उस पर हमारी नजर है. लेकिन अब तक इस बारे में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है. एटलस को 2014 से घाटा होना शुरू हुआ था. तीन जून को कंपनी ने साहिबबाद की फैक्टरी बंद कर दी थी. संयोग से उस दिन वर्ल्ड बाईसाइकिल डे था. यह प्लांट 1989 में शुरू हुआ था और वह कंपनी का आखिरी ऑपरेशन प्लांट था. इसमें हर महीने 2 लाख से अधिक साइकिल बनाने की क्षमता थी.

हीरो साइकिल्स के लिए अधिग्रहण कोई नहीं बात नहीं है. 2015 में कंपनी ने फायरफॉक्स बाइक्स के कारोबार को खरीदा था. यह सौदा पूरी तरह कैश में हुआ था और इसकी राशि सार्वजनिक नहीं की गई थी. 2016 में कंपनी ने श्रीलंका की साइकिल कंपनी बीएसएच में 60 फीसदी इक्विटी खरीदी थी. इससे कुछ ही दिन पहले हीरो साइकिल्स नें ब्रिटेन की एवोसेट स्पोर्ट्स में भी हिस्सेदारी खरीदी थी. इस साल जनवरी में कंपनी ने प्रीमियम ई-बाइक बनाने वाली जर्मनी की कंपनी एचएनएफ निकोलई में भी हिस्सेदारी खरीदी थी. इसका मकसद ग्लोबल साइकिल बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना था.

मुंजाल ने कहा कि मुश्किल आर्थिक स्थिति के बावजूद घरेलू बाजार में कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है. बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में प्रवासी मजदूरों के लौटने से साइकिल की मांग बढ़ रही है. इसके अलावा बच्चों और लाइफस्टाइल से जुड़ी साइकिलों की भी जबरदस्त मांग है. कंपनी की वैश्विक उत्पादन क्षमता 60 लाख साइकिल की है जिसमें से करीब 50 लाख की क्षमता भारत में है. अगले साल की पहली तिमाही तक कंपनी इसे 1 करोड़ तक पहुंचाना चाहती है और इसके लिए 400 करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है.

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