भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने टोक्यो 2020 में लंबा इंतजार खत्म करते हुए कांस्य पदक जीता था। टीम हालांकि 1980 मॉस्को ओलंपिक के बाद से स्वर्ण पदक नहीं जीत सकी है और टीम के अनुभवी फॉरवर्ड खिलाड़ी ललित उपाध्याय को यकीन है कि भारत इस बार पदक का रंग बदलने में सफल रहेगा। ललित 41 साल बाद पदक जीतने वाली पुरुष हॉकी टीम के सदस्य रहे थे।
भारतीय टीम पेरिस ओलंपिक से पहले मानसिक दृढता के लिए स्विटजरलैंड के माइक होर्न्स बेस में तीन दिवसीय शिविर के बाद अब नीदरलैंड में अभ्यास मैच खेलेगी। भारत के लिए 168 मैचों में 45 गोल कर चुके ललित ने कहा, हमें पता है कि उम्मीदें बढ़ी हुई हैं क्योंकि लंबे समय बाद हमने ओलंपिक पदक जीता था। हमें भी खुद से पूरी उम्मीद है कि पदक का रंग बदलेंगे। हमने पिछले चार साल में फिटनेस पर भी काफी मेहनत की है जो मैदान पर नजर आ रही है। फिटनेस में हम दुनिया की शीर्ष टीमों के समकक्ष हैं। युवा खिलाड़ियों के साथ सीनियर्स की फिटनेस का स्तर भी जबरदस्त है।
भारत को मिला है कठिन ग्रुप
भारतीय हॉकी टीम को पेरिस ओलंपिक में पूल चरण में ही आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, अर्जेंटीना जैसे दिग्गजों का सामना करना है। भारत को पेरिस ओलंपिक में पूल बी के पहले मैच में 27 जुलाई को न्यूजीलैंड से, 29 जुलाई को रियो ओलंपिक 2016 चैंपियन अर्जेंटीना, 30 जुलाई को आयरलैंड, एक अगस्त को टोक्यो ओलंपिक चैंपियन बेल्जियम और दो अगस्त को पूर्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से खेलना है।
कठिन पूल मिलने से परेशान नहीं हैं ललित
ललित ने कहा, ‘ओलंपिक में पूल पर ध्यान देना बेमानी है क्योंकि सभी टीमें पूरी तैयारी के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने आती हैं। हम मैच दर मैच रणनीति बनाएंगे और हर मैच में सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करेंगे।’ टोक्यो ओलंपिक में पदक जीतने वाली भारतीय टीम के 11 खिलाड़ी पेरिस में भी खेलेंगे जबकि पांच खिलाड़ियों का पहला ओलंपिक है। ललित ने हालांकि कहा कि युवा खिलाड़ी भी इतना खेल चुके हैं कि ओलंपिक का दबाव आसानी से झेल लेंगे। उन्होंने कहा, ये लड़के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं जहां ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने का काफी दबाव होता है लिहाजा ओलंपिक का दबाव भी झेलने में सक्षम हैं। हम काफी समय से इनके साथ खेल रहे हैं और तालमेल अच्छा है। एक दूसरे से बात करते रहते हैं और अनुभव साझा करते हैं।