बचपन में हम अक्सकर हमारी पृथ्वीब पर मौजूद ऐसे इलाकों के बारे में अनगिनत कहानियां सुना करते थे जहां साल के कई-कई महीनों तक सूरज या तो उगता नहीं या ढलता नहीं। मगर तब हम इन बातों को मनगढ़ंत समझते थे और इन्हेंफ किस्सेत-कहानियां माना करते थे। बड़े होने पर पता चला कि ऐसी कहानियां कपोल कल्पईना नहीं थीं, बल्कि सच में ऐसी जगहें हैं जहां महीनों तक रात का अंधेरा या दिन का उजाला फैला रहता है। धीरे-धीरे ऐसे सुदूरवर्ती इलाकों के बारे में हमारी समझ भी बढ़ती गई। कहानीकार सुधांशु राय की ताज़ातरीन डिटेक्टिव थ्रिलर स्टोमरी ‘हॉरर ऑफ द नुआंबी विलेज’ हमें ऐसे ही एक इलाके यानी पृथ्वीत के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित अंटार्टिका ले जाती है।
इस कहानी के प्रमुख किरदार हैं रूपर्ट और कार्तिक, जो अमरीकी वैज्ञानिक हैं और अंटार्टिका के नुआंबी गांव में शोध के लिए गए हैं| इस गांव में जीवन दुनिया के दूसरे भागों से यकीनन काफी अलग है। इस गांव में लगातार छह महीने सूरज की रोशनी रहती है और उसके बाद अगले छह महीनों तक यह इलाका अंधकार में डूबा रहता है। जब सूरज के रोशनी वाले दिन समाप्तह हो जाते हैं तो गांव वाले यहाँ से पलायन कर जाते हैं। यह परंपरा सालों से चली आ रही है क्यों कि इन लोगों का मानना है कि अंधकार के दौर में इस इलाके पर कुछ बुरी ताकतों का कब्जा् हो जाता है, और कुछ अनजान जीव-जंतुओं की प्रजातियां इस पूरे इलाके में घूमती रहती हैं।
जब रूपर्ट और कार्तिक इस हिमाच्छा, दित गांव में पहुंचे तो वह उस गांव में रोशनी का आखिरी ‘दिन’ था, यानी उसके बाद इस पूरे क्षेत्र में एक लंबी रात का सिलसिला शुरू होने जा रहा था। ये दोनों वैज्ञानिक एक हट में ठहरने वाले थे जो एक बूढ़ी औरत का घर था। इनका ट्रिप अगले दो महीने तक का था लेकिन हट पहुंचने पर इस बूढ़ी औरत ने उन्हेंन बताया कि उसने उनके लिए छह महीने का राशन रखवा दिया है और वह खुद उसी शाम वहां से निकलने वाली है। हालांकि ये दोनों वैज्ञानिक आसपास के मंज़र से थोड़े हैरान ज़रूर थे, लेकिन उन्हों ने तय कर लिया था कि वे किसी भी अनहोनी से निपटेंगे।
उस बूढ़ी औरत के जाने के बाद जो घटा उसकी कल्परना तो इन दोनों ने सपने में भी नहीं की थी। कुछ ही घंटों बाद हट को अजीबोगरीब जीव-जंतुओं ने घेर लिया था| इन दोनों वैज्ञानिकों ने अपने किसी अन्यो एक्सापीडिशन में ऐसे जंतु पहले कभी नहीं देखे थे। हालात उस वक़्थत और बिगड़ गयी जब ये विचित्र किस्म के जीव हट में घुस आए। अब इन दोनों के पास वहां से भाग निकलने और पड़ोसी क्रिस्टोबफर के पास जाने के सिवाय कोई चारा नहीं बचा था।
कौन थे ये अजीबोगरीब जंतु जो अंधेरा घिरते ही हट के बाहर आ पहुंचे थे? पड़ोसी के घर जब वह भाग कर जा रहे थे तो कुल्हााड़ी पकड़े खड़ा विशालकाय व्यीक्ति कौन था? आखिरकार इन दोनों वैज्ञानिकों ने किस प्रकार मदद के लिए अपने अमरीकी बॉस से संपर्क साधा? इन तमाम रहस्योंय पर से पर्दा उठाने के लिए आपको नुआंबी गांव की भयावह तस्वी्र दिखाने वाली कहानी खुद कहानीकार सुधांश राय की जुबानी सुननी होगी। इस कहानी के दो भाग पहले ही जारी किए जा चुके हैं, और तीसरे भाग में डिटेक्टिव बूमराह हमारे उन दो किरदारों की सहायता के लिए आ रहे हैं जो अंटार्टिका के बर्फानी महाद्वीप में एक भयावह परिस्थिति में फंस चुके हैं।