ऊँचाहार/रायबरेली। क्षेत्र के गोकना घाट पर दफनाए गये सैकड़ों शवों की बदहाल दशा का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और जिसने प्रशासन की नाकामी की कलई को भी खोल कर रख दिया ।सरकार ने भले ही शवों के दफनाने पर रोक लगायी हो लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही को शवों के ऊपर से उठी बालू की परत ने उजागर कर दिया।
दरअसल क्षेत्र के गोकना शवदाह घाट पर जनपद ही नहीं बल्कि अमेठी जिले के कुछ हिस्से से लोग यहां पर अंतिम संस्कार के लिए आते रहे है वहीं बात की जाये बीते एक महीने कोरोना काल की जिसमें सैकड़ों की संख्या में घाट पर आये हुए शवों को दफनाया गया, क्योंकि इस दौर में हुई कई मौतों से आर्थिक रूप से कमजोर व गरीब तबके के लोगों ने मजबूरन दाह संस्कार के बजाय शवों को दफनाया था, लेकिन स्थानीय व जिला प्रशासन ने झूठी रिपोर्ट शासन को भेजकर अपनी पीठ खुद ही थपथपा ली।
लेकिन बीते तीन दिनों में हुई बरसात से शवों के ऊपर पड़ी बालू की परत हट गई और उसने प्रशासन के झूठ को बेनकाब कर दिया, तस्वीरों में साफ़तौर पर देखा जा सकता है कि शव बदहाल स्थिति में नजर आ रहे है और कुछ शवों को तो जंगली जानवरों ने भी अपना निवाला बनाया है। जो आधे अधूरे अवस्था में पड़े हुए नजर आये।
वहीं गंगा को उज्ज्वल व अविरल बनाने का जो सपना प्रधानमंत्री मोदी ने देखा था सिस्टम के अधिकारियों ने उस पर भी ग्रहण लगा दिया। क्योंकि जनपद के गेंगासों ,डलमऊ व अब गोकना घाट की वायरल इन तस्वीरों से जिला व स्थानीय प्रशासन का चेहरा छुपने के बजाय और बुरी तरह उधड़ गया है। फिलहाल मामले में एसडीएम राजेंद्र शुक्ल का कहना है कि मामले की जानकारी नहीं है जांच करायी जायेगी।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा